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bivariant Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)


bivariant ka kya matlab hota hai


बिवेरिएट

Noun:

पाठभेद, रूपांतर, प्रकार,



bivariant शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:

3. वेदव्यास की सामवेद-शिष्य-परंपरा में हिरण्य नाम का शिष्य (वायु., 1, 61; ब्रह्मांड 2, 35) ब्रह्मांडपुराण में पाराशर्य पाठभेद है।



उच्चारण की शुद्धता को इतना सुरक्षित रखा गया कि ध्वनि ओर मात्राएँ, ही नहीं, सहस्रों वर्षों पूर्व से आज तक वैदिक मंत्रों में कहीं पाठभेद नहीं हुआ।

इसके साथ ही योगवार्तिककार ने अपने ग्रन्थ में योगभाष्य के अनेक पाठभेद का भी निदर्शन किया है।

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इनका उद्देश्य इस ग्रंथ के उस प्राचीन मूल पाठ का निर्धारण करना था, जो उपलब्ध विभिन्न पांडुलिपियों के पाठभेदों का उदारतापूर्वक किंतु सावधानी से प्रयोग करने पर उचित जान पड़े।

अतः प्रमाणिक अर्थ निरूपण के लिये पाठभेद जानना आवश्यक होता है।

फिर भी कहीं-कहीं पाठभेद मिलने पर इन अध्येताओं ने उन्हें अलग पुराण के रूप में गिन लिया है।

किसी किसी का मत है कि साम्बपुराण, भास्कर, आदित्य, भानव और सौरपुराण एक ही ग्रंथ हैं, केवल नाम भिन्न भिन्न हैं, परन्तु यह कथन गलत है, क्योंकि देवी भागवत ने आदित्यपुराण से पृथक् सौर को गिना है (स्कंध 1, 3, 15) एवं सूत्रसंहिता ने साम्बपुराण से भिन्न सौरपुराण गिना हैं, भास्कर और भानव ये दो पाठभेद भार्गव और भानव के स्थान में पाए जाते हैं।

प्रेमचंद का दूसरा उपन्‍यास 'हमखुर्मा व हमसवाब' है जिसका हिंदी रूपांतरण 'प्रेमा' नाम से १९०७ में प्रकाशित हुआ।

ग्रीक लेखकों ने चिनाव नदी को ‘अकेसिनीज’ लिखा है, जो अश्विनी का ही स्पष्ट रूपांतरण है।

सुभाषितरत्नकोश (उपरोक्त से कुछ पाठभेद) भिलावाँ या भिलावा या भल्लातक (वैज्ञानिक नाम : Semecarpus anacardium ; संस्कृत : अग्निमुख) एक वृक्ष है जो भारत के बाहरी हिमालयी क्षेत्र से लेकर कोरोमंडल तट तक पाया जाता है।

कुन्दलाल शर्मा जी का विचार हैः– 'इस प्रकार के पाठ–भेद या प्रक्षेप कुमारिल से पूर्व ही किए गए थे क्योंकि 'तन्त्र वार्त्तिक'* में इस प्रकार के पाठभेदों की चर्चा की गई है।

मूल वायरस अनुलिपियों में परिवर्तन कर सकता है, या अनुलिपियाँ ख़ुद अपने आप में परिवर्तन कर सकती हैं, जैसा कि एक रूपांतरित वायरस (metamorphic virus) में होता है।

इसका हिंदी रूपांतरण देवस्थान रहस्य नाम से हुआ।

मदन गोपाल द्वारा रचित यह जीवनी मूलतः अंग्रेजी में लिखी गई थी जिसका बाद में हिंदी रूपांतरण भी प्रकाशित हुआ।

अमृतराय के अनुसार यह "अनातोल फ्रांस के 'थायस' का भारतीय परिवेश में रूपांतर है।

विज्ञानभिक्षु के द्वारा योगसूत्र में पाठभेद - 1/17, 1/21, 1/25, 2/23।

ऊर्जा के अनेक रूप होते हैं और उसका रूपांतरण हो सकता है, किंतु उसकी मात्रा में किसी प्रकार परिवर्तन करना संभव नहीं हो सकता।

सिद्धगन्धर्व-यज्ञज्ञैरसुरैरमरैरपि यह पाठभेद भी दिखता है ।

पठन-पाठन में विशेष प्रचलित न होने के कारण वैशेषिक सूत्रों में अनेक पाठभेद हैं तथा 'त्रुटियाँ' भी पर्याप्त हैं।

कुछ विद्वानों के मतानुसार यह ऊर्जा विषयक विज्ञान है और इसमें ऊर्जा के रूपांतरण तथा उसके द्रव्य संबन्धों की विवेचना की जाती है।

महाकवि चन्दा झा ने उपर्युक्त श्लोक का ही मैथिली रूपांतरण करते हुए मिथिला की सीमा बताते हुए लिखा है कि।

पाठभेद से अभिप्राय है कि पातजंलि-योगसूत्र में तथा उसपर उपलब्ध व्यासभाष्य व्याख्या में एक ही सूत्र की व्याख्य़ा में किसी के द्वारा किसी शब्द तथा अन्य के द्वारा अन्य शब्द का प्रयोग किया जाना।

वायरस जो ऐसी तकनीक का उपयोग करते हैं वे रूपांतरित (metamorphic) कहलाते हैं।

परिणामस्वरूप, ऑस्ट्रेलिया की जनसांख्यिकी, संस्कृति और स्वयं की छवि रूपांतरित हो गयी।

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