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beatifical Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)


beatifical ka kya matlab hota hai


बेटिफिकल

Adjective:

सुख का, सुखी,



beatifical शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:



धर्म उन सिद्धान्तों, तत्त्वों और जीवन प्रणाली को कहते हैं, जिससे मानव जाति परमात्मा प्रदत्त शक्तियों के विकास से अपना लौकिक जीवन सुखी बना सके तथा मृत्यु के पश्चात् जीवात्मा शान्ति का अनुभव कर सके।

ऐसा करने पर गार्हस्थ्य जीवन, नागरिक जीवन सदैव सुखी और शान्त बना रहता है।

उल्लिखित नौ प्रकरणों को सुखी दाम्पत्य जीवन की कुञ्जी ही समझना चाहिए।

मनुष्य अपनी इच्छाओं की तृप्ति से सुख का अनुभव करता है।

वह ऊष्मा-सी ठंडी साँसें भरती दुःख से सुख का मूल्य आँकती है।

अपना कष्ट कम और साथी का कष्ट बढ़कर मानें, अपने सुख की अपेक्षा साथी के सुख का अधिक ध्यान रखें।

सुखमनी साहिब सुख का आनंद देने वाली वाणी है।

पद्म पुराण में इसे भगवान का साक्षात शरीर, पूर्ण ब्रह्म से सम्पर्क का स्थान तथा सुख का आश्रय बताया गया है।

विवाहित महिलाएँ अपने पति के सुखी जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं व अविवाहित महिलाएं भगवान शिव, जिन्हें आदर्श पति के रूप में माना जाता है जैसे पति के लिए प्रार्थना करती हैं।

सुखी इनमें सबसे छोटा है और सबकी आंखों का तारा है।

ब्राह्मण सर्वेजनासुखिनो भवन्तु (सभी जन सुखी तथा समॄद्ध हों) एवं वसुधैव कुटुम्बकम (सारी वसुधा एक परिवार है) में विश्वास रखते हैं।

ईश्वर जब प्रसन्न हो जाते हैं तो जीव को (अंश) अपने भीतर ले लेते हैं या अपने पास नित्यसुख का उपभोग करने के लिए रख लेते हैं।

'वेदों में यज्ञ-धर्म का प्रतिपादन किया गया और लोगों को यह सीख दी गई कि इस जीवन में सुखी, संपन्न तथा सर्वत्र सफल व विजयी रहने के लिए आवश्यक है कि देवताओं की तुष्टि व प्रसन्नता के लिए यज्ञ किए जाएँ।

(अर्थ : सुख का मूल है, धर्म।

'उसका मन सत्संगसुख का व्यसनी था।

आध्यात्मिकता और भौतिकता के इस समन्वय में भारतीय संस्कृति की वह विशिष्ट अवधारणा परिलक्षित होती है, जो मनुष्य के इस लोक और परलोक को सुखी बनाने के लिए भारतीय मनीषियों ने निर्मित की थी।

मानव-समाज में विवाह की संस्था के प्रादुर्भाव के बारे में १९वीं शताब्दी में वेखोफन (१८१५-८० ई.), मोर्गन (१८१८-८१ ई.) तथा मैकलीनान (१८२७-८१) ने विभिन्न प्रमाणों के आधार पर इस मत का प्रतिपादन किया था कि मानव समाज की आदिम अवस्था में विवाह का कोई बंधन नहीं था, सब नर-नारियों को यथेच्छित कामसुख का अधिकार था।

उनका वैवाहिक जीवन बहुत सुखी रहा और उससे उनके अध्ययन अथवा अन्य कार्यों में कोई रुकावट नहीं पड़ी।

सुखी मानव-जीवन के लिए ऐसी चिन्ता विश्व की अन्य संस्कृतियाँ नहीं करतीं।

डीजे के दोस्त हैं करण (सिद्धार्थ), असलम (कुनाल कपूर) और सुखी (शर्मन जोशी)।

देश और विदेश से सभी धर्म व जाति के लोग यहाँ गुरुदेव सियाग सिद्धयोग की पद्धति से ध्यान और मंत्र जाप करके असीम शांति एवं सुख का अनुभव करते हैं।

तात्पर्य यह है कि आस्तिक वैदिक एवं यहाँ तक कि अर्धवैदिक दर्शनों में, पुराणों स्मृतियों में वर्णित आचार का पालन यदि शरीर सुख का साधक है तो उनका अनुसरण करना चाहिये और यदि वे उसके बाधक होते हैं तो उनका सर्वथा सर्वदा त्याग कर देना चाहिये।

जो दम्पति इस शास्त्र के अनुसार दाम्पत्य जीवन व्यतीत करेंगे उनका जीवन काम-दृष्टि से सदा-सर्वदा सुखी रहेगा।

मान्यता है कि इस दिन लक्ष्मी प्रसन्न रहती हैं और जो लोग उस दिन उनकी पूजा करते है वे आगे के वर्ष के दौरान मानसिक, शारीरिक दुखों से दूर सुखी रहते हैं।

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