bacteric Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
bacteric ka kya matlab hota hai
जीवाणु
Noun:
कीटाणु, जीवाणु,
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bacteric शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
उल्लेखनीय है कि अक्सर एच.आई.वी के कीटाणु, संक्रमण होने के 3 से 6 महीनों बाद भी, एच.आई.वी परीक्षण द्वारा पता नहीं लगाये जा पाते।
ग्रीष्म ऋतु में गर्मी के कारण विषैले कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।
अत: पादप रोग विज्ञान का संबंध अन्य विज्ञान जैसे कवक विज्ञान, जीवाणु विज्ञान, माइकोप्लाज्मा विज्ञान, सूक्ष्म जीव विज्ञान, सूत्र-कृमि विज्ञान, सस्य दैहिकी, अनुवांशिकी एवं कृषि रसायन विज्ञान से संबंधित है।
क्यूप्रिक हाइड्रोजन आर्सेनाइट (CuHAsO) में कीटाणुनाशी गुण पाये जाते हैं।
मुख्य रूप से यह कृतंक (rodent) प्राणियों (प्राय: चूहे) का रोग है, जो पास्चुरेला पेस्टिस नामक जीवाणु द्वारा उत्पन्न होता है।
यज्ञ के द्वारा जो शक्तिशाली तत्त्व वायुमण्डल में फैलाये जाते हैं, उनसे हवा में घूमते असंख्यों रोग कीटाणु सहज ही नष्ट होते हैं।
आधुनिक चिकित्सा पद्धति एक महत्वपूर्ण पड़ाव जब आया जब रोबर्ट कोक द्वारा-व्याधियों की ज़र्म थ्योरी ( कीटाणु सिद्धांत ) - दिया गया ।
प्लेग के जीवाणु सरलता से संवर्धनीय है और गिनीपिग (guinea pig) तथा अन्य प्रायोगिक पशुओं में रोग उत्पन्न कर सकते हैं।
इसे प्रतिदिन दिन में दो बार डाक्टरी रूई से स्प्रिट के सहायता से साफ करना तथा कीटाणुनाशक दवा का उपयोग करना चाहिए।
वीर्य में शक्तिशाली जीवाणुनाशक गतिविधि के साथ प्रोटीन हुआ करता है, लेकिन ये प्रोटीन नेइसेरिया गनोरिया जैसे एक आम यौन संचारित रोग के विरुद्ध सक्रिय नहीं होते हैं।
ब्लीच और कीटाणुनाशक बनाने के कारखाने में काम करने वाले लोगों में इससे प्रभावित होने की आशंका अधिक रहती है।
वैज्ञानिक मानते हैं कि इस नदी के जल में बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु होते हैं, जो जीवाणुओं व अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों को जीवित नहीं रहने देते हैं।
इनमे शामिल है टैटेनियम डाई आक्साइड का प्रयोग प्रसाधन सामग्रीओं में, चाँदी नैनो कण का प्रयोग खादपदार्थों के डिब्बाबंदी, कपडों, कीटाणुनाशकों और घरेलू यंत्रों में, जस्ता आक्साइड नैनो कण का प्रयोग प्रसाधन सामग्रीओं, रंगलेप (पेंट), बाहरी-फर्नीचर वार्निश; और सेरियम आक्साइड ईंधन-उत्प्रेरक के रूप में।
ये जीवाणु शरीर के प्रमुख अंगों में प्रदाह करते हैं और आहत रक्तवाहनियों से रक्तस्त्राव होता है।
उसी समय से उनके घर में क्षय रोग के कीटाणु प्रवेश कर गये थे।
तरणताल में इसका प्रयोग कीटाणुनाशक की तरह किया जाता है।
इसका प्रयोग तरणतालों को कीटाणुरहित बनाने में किया जाता है।
यह जीवाणु नाशक, रक्त्शोधक एवं त्वचा विकारों में गुणकारी है।
जब चूहे मरते हैं तो प्लेग के जीवाणुओं से भरे पिस्सू चूहे को छोड़कर आदमी की ओर दौड़ते हैं।
कभी-कभी जीवाणु रक्त में पहुँच जाते हैं और रक्तपूतिता हो जाती है।
अत: सामान्य अवस्था में मनुष्यों पर उसका कोई विशेष हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता, बल्कि उस धूप द्वारा हानिकारक कीटाणु मर जाते हैं, जिससे मनुष्य या जीवन को लाभ होता है।
इस कारण वे पत्तियाँ खानेवाले कीटाणुओं को नष्ट करने में उपयोगी होते हैं।
एड्स स्वयं कोई बीमारी नही है पर एड्स से पीड़ित मानव शरीर संक्रामक बीमारियों, जो कि जीवाणु और विषाणु आदि से होती हैं, के प्रति अपनी प्राकृतिक प्रतिरोधी शक्ति खो बैठता है क्योंकि एच.आई.वी (वह वायरस जिससे कि एड्स होता है) रक्त में उपस्थित प्रतिरोधी पदार्थ लसीका-कोशो पर आक्रमण करता है।
चूंकि पौधे में रोग कवक, जीवाणु, विषाणु, माइकोप्लाज्मा, सूत्रकृमि, पुष्पधारी आदि के अतिरिक्त अन्य निर्जीव कारणों जैसे जहरीली गैसों आदि से होता है।