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arjuna Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)


arjuna ka kya matlab hota hai


अर्जुन

Noun:

अर्जुन,



arjuna शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:



डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के निर्देशन में राजनीति का पाठ तो पढ़ा ही, साथ-साथ पाञ्चजन्य, राष्ट्रधर्म, दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन जैसे पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन का कार्य भी कुशलता पूर्वक करते रहे।

:पाणिनि द्वारा रचित अष्टाध्यायी(६००-४०० ईसा पूर्व) में महाभारत और भारत दोनों का उल्लेख हैं तथा इसके साथ साथ श्रीकृष्ण एवं अर्जुन का भी संदर्भ आता है अतैव महाभारत और भारत पाणिनि के काल के बहुत पहले से ही अस्तित्व में रहे थे।

उसीमे कुन्तीपुत्र धर्मराज युधिष्टीर, अर्जुन, भिम, नकुल, सहदेव तथा द्रोपदी जब स्वर्गारोहण कर रहे थे तब वे जिस विशाल पर्वत शृंखला से गये उसे " महाभारत पर्वत शृंखला " तथा जहा पर कैलासनाथ आदियोगी महादेव जी ने ज्योतिर्लिंग के रुप मे प्रकट हुये वो स्थान " श्री पशुपतिनाथ ज्योतिर्लिंग मन्दिर " के नाम से जाना जाता है।

इसके फलस्वरुप अर्जुन ने अग्निदेव से दिव्य गाण्डीव धनुष और उत्तम रथ तथा श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र प्राप्त किया।

तत्पश्चात् अर्जुन ने तैलपात्र में प्रतिबिम्ब को देखते हुये एक ही बाण से मत्स्य को भेद डाला और द्रौपदी ने आगे बढ़ कर अर्जुन के गले में वरमाला डाल दीं।

यहां पांचों पाण्डव (युधिष्ठिर, अर्जुन, भीम, नकुल तथा सहदेव) की मूर्तियां हैं।

राजा पाण्डु के कहने पर कुन्ती ने दुर्वासा ऋषि के दिये मन्त्र से यमराज को आमन्त्रित कर उनसे युधिष्ठिर और कालान्तर में वायुदेव से भीम तथा इन्द्र से अर्जुन को उत्पन्न किया।

इसके फलस्वरुप अर्जुन ने अग्निदेव से दिव्य गाण्डीव धनुष और उत्तम रथ तथा श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र प्राप्त किया।

: (कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि) जब-जब धर्म की ग्लानि (पतन) होता है और अधर्म का उत्थान होता है, तब तब मैं अपना सृजन करता हूँ (अवतार लेता हूँ)।

तत्पश्चात् अर्जुन ने तैलपात्र में प्रतिबिम्ब को देखते हुये एक ही बाण से मत्स्य को भेद डाला और द्रौपदी ने आगे बढ़ कर अर्जुन के गले में वरमाला डाल दीं।

वहाँ अर्जुन ने श्रीकृष्ण के साथ मिलकर समस्त देवताओं को युद्ध में परास्त करते हुए खाण्डववन को जला दिया और इन्द्र के द्वारा की हुई वृष्टि का अपने बाणों के छत्राकार बाँध से निवारण करके अग्नि देव को तृप्त किया।

धृतराष्ट्र ने गांधारी द्वारा सौ पुत्रों को जन्म दिया, जिनमें दुर्योधन सबसे बड़ा था और पाण्डु के युधिष्टर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव आदि पांच पुत्र हुए।

राजा पाण्डु के कहने पर कुन्ती ने दुर्वासा ऋषि के दिये मन्त्र से यमराज को आमन्त्रित कर उनसे युधिष्ठिर और कालान्तर में वायुदेव से भीम तथा इन्द्र से अर्जुन को उत्पन्न किया।

महाभारत में इस संबंध में एक प्रसंग है, जिसमें अर्जुन को अर्थशास्त्र का विशेषज्ञ माना गया है।

:पाणिनि द्वारा रचित अष्टाध्यायी(६००-४०० ईसा पूर्व) में महाभारत और भारत दोनों का उल्लेख हैं तथा इसके साथ साथ श्रीकृष्ण एवं अर्जुन का भी संदर्भ आता है अतैव महाभारत और भारत पाणिनि के काल के बहुत पहले से ही अस्तित्व में रहे थे।

धृतराष्ट्र ने गांधारी द्वारा सौ पुत्रों को जन्म दिया, जिनमें दुर्योधन सबसे बड़ा था और पाण्डु के युधिष्टर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव आदि पांच पुत्र हुए।

यहां पांचों पाण्डव (युधिष्ठिर, अर्जुन, भीम, नकुल तथा सहदेव) की मूर्तियां हैं।

: (कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि) जब-जब धर्म की ग्लानि (पतन) होता है और अधर्म का उत्थान होता है, तब तब मैं अपना सृजन करता हूँ (अवतार लेता हूँ)।

महाभारत में इस संबंध में एक प्रसंग है, जिसमें अर्जुन को अर्थशास्त्र का विशेषज्ञ माना गया है।

इन्द्र अपने पुत्र अर्जुन की वीरता देखकर अतिप्रसन्न हुए।

उन्होंने लंबे समय तक राष्‍ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया।

वहाँ अर्जुन ने श्रीकृष्ण के साथ मिलकर समस्त देवताओं को युद्ध में परास्त करते हुए खाण्डववन को जला दिया और इन्द्र के द्वारा की हुई वृष्टि का अपने बाणों के छत्राकार बाँध से निवारण करके अग्नि देव को तृप्त किया।

डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के निर्देशन में राजनीति का पाठ तो पढ़ा ही, साथ-साथ पाञ्चजन्य, राष्ट्रधर्म, दैनिक स्वदेश और वीर अर्जुन जैसे पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादन का कार्य भी कुशलता पूर्वक करते रहे।

उन्होंने लंबे समय तक राष्‍ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया।

उसीमे कुन्तीपुत्र धर्मराज युधिष्टीर, अर्जुन, भिम, नकुल, सहदेव तथा द्रोपदी जब स्वर्गारोहण कर रहे थे तब वे जिस विशाल पर्वत शृंखला से गये उसे " महाभारत पर्वत शृंखला " तथा जहा पर कैलासनाथ आदियोगी महादेव जी ने ज्योतिर्लिंग के रुप मे प्रकट हुये वो स्थान " श्री पशुपतिनाथ ज्योतिर्लिंग मन्दिर " के नाम से जाना जाता है।

महाभारत की कहानी को ही बाद के मुख्य यूनानी ग्रंथों इलियड और ओडिसी में बार-बार अन्य रूप से दोहराया गया, जैसे धृतराष्ट्र का पुत्र मोह, कर्ण-अर्जुन प्रतिस्पर्धा आदि।

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