aren't Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
aren't ka kya matlab hota hai
नहीं
Verb:
नहीं हैं,
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aren't शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
उनका अभियान गीत 'कदम कदम बढ़ाए जा' भी इसी भाषा में था, परन्तु सुभाष चन्द्र बोस हिन्दुस्तानी भाषा के संस्कृतकरण के पक्षधर नहीं थे, अतः शुभ सुख चैन को जनगणमन के ही धुन पर, बिना कठिन संस्कृत शब्दावली के बनाया गया था।
यह अनुशासन और समर्पण लाने की ऐसी नीति थी जिससे अनिच्छा और महत्वाकाक्षा को दूर किया जा सके और इनके स्थान पर उस समय महिलाओं को शामिल किया जाए जब ऐसे बहुत से विचार आने लगे कि इस प्रकार की गतिविधियां महिलाओं के लिए सम्मानजनक नहीं हैं।
फारसी में कोई व्याकरणिक लिंग नहीं है और न ही सर्वनाम प्राकृतिक लिंग के लिए चिह्नित हैं।
इनका स्रोत संस्कृत नहीं है।
गुजराती प्रिटिंग प्रेस बम्बई से मुदित उपनिषद्-वाक्य-महाकोष में २२३ उपनिषदों की नामावली दी गई है, इनमें उपनिषद (१) उपनिधि-त्स्तुति तथा (२) देव्युपनिषद नं-२ की चर्चा शिवरहस्य नामक ग्रंथ में है लेकिन ये दोनों उपलब्ध नहीं हैं तथा माण्डूक्यकारिका के चार प्रकरण चार जगह गिने गए है इस प्रकार अबतक ज्ञात उपनिषदो की संख्या २२० आती हैः-।
भारतीय भाषाओं के किसी भी शब्द या ध्वनि को देवनागरी लिपि में ज्यों का त्यों लिखा जा सकता है और फिर लिखे पाठ को लगभग 'हू-ब-हू' उच्चारण किया जा सकता है, जो कि रोमन लिपि और अन्य कई लिपियों में सम्भव नहीं है, जब तक कि उनका विशेष मानकीकरण न किया जाये, जैसे आइट्रांस या IAST ।
वे केवल ध्वनियाँ नहीं हैं अपितु सस्वर अक्षर हैं।
मई २०१३ के लेख जिनमें स्रोत नहीं हैं मनोरंजन एक ऐसी क्रिया है जिसमें सम्मिलित होने वाले को आनन्द आता है एवं मन शान्त होता हैं।
एस्पेरान्तो सीखने वाला छात्र एक ऐसी दुनिया के बारे में सीखता है जिसमे सीमाएँ नहीं हैं, जहाँ हर देश घर है।
कौटिल्य के 'अर्थशास्त्र' के पूर्व और भी कई अर्थशास्त्रों की रचना की गयी थी, यद्यपि उनकी पांडुलिपियाँ उपलब्ध नहीं हैं।
जनभाषा व्याकरण के नियमों का अनुसरण नहीं करती, परन्तु व्याकरण को जनभाषा की प्रवृत्तियों का विश्लेषण करना पड़ता है।
प्रत्येक शब्द के ऊपर एक रेखा खिंची होती है (कुछ वर्णों के ऊपर रेखा नहीं होती है) इसे शिरोरेखा कहते हैं।
दसवीं सदी के उपरान्त लिखे गए अनेक ग्रंथों की प्रामाणिकता को लेकर भी विद्वान एकमत नहीं हैं।
इतिहासकारों की सूची में, इतिहासकारों को उस ऐतिहासिक काल के क्रम में सामूहीकृत किया जा सकता है, जिसमें वे लिख रहे थे, जो जरूरी नहीं कि वह अवधि, जिस अवधि में वे विशेषीकृत थे या निपुण थे क्रॉनिकल्स और एनलिस्ट, हालांकि वे सही अर्थों में इतिहासकार नहीं हैं, उन्हें भी अक्सर शामिल किया जाता है।
प्रोफ़ेसर महावीर सरन जैन ने अपने "हिन्दी एवं उर्दू का अद्वैत" शीर्षक आलेख में हिन्दी की व्युत्पत्ति पर विचार करते हुए कहा है कि ईरान की प्राचीन भाषा अवेस्ता में 'स्' ध्वनि नहीं बोली जाती थी बल्कि 'स्' को 'ह्' की तरह बोला जाता था।
हालाँकि व्याकरणिक रूप से उर्दू और हिन्दी में कोई अन्तर नहीं है परन्तु कुछ विशेष क्षेत्रों में शब्दावली के स्रोत (जैसा कि ऊपर लिखा गया है) में अन्तर है।
वे कागज पर मुद्रित नहीं हैं बल्कि किसी विशिष्ट फाइल-फॉर्मट में हैं और किसी 'डिक्शनरी सॉफ्टवेयर' के द्वारा प्रयोक्ता को शब्दार्थ ढूढने में मदद करते हैं।
हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है क्योंकि भारत के संविधान में किसी भी भाषा को ऐसा दर्जा नहीं दिया गया है।
यदि टीम में केवल एक ही ऐसा बल्लेबाज बचा है जो बल्लेबाजी कर सकता है, बाकि बचे हुए एक या अधिक खिलाड़ी चोट, बीमारी या अनुपस्थिति के कारण उपलब्ध नहीं हैं तो भी टीम "ऑल आउट" कहलाती है।
देवनागरी या नागरी नाम का प्रयोग "क्यों" प्रारम्भ हुआ और इसका व्युत्पत्तिपरक प्रवृत्तिनिमित्त क्या था- यह अब तक पूर्णतः निश्चित नहीं है।
इसके उत्तरी भाग से हिमाचल प्रदेश की सीमाएं अधिक दूर नहीं हैं।
इनमें से ळ (मूर्धन्य पार्विक अन्तस्थ) एक अतिरिक्त व्यंजन है जिसका प्रयोग हिन्दी में नहीं होता है।
भारत की स्वतंत्रता के पहले और उसके बाद भी बहुत से लोग हिन्दी को 'राष्ट्रभाषा' कहते आये हैं (उदाहरणतः, राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा, महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा, पुणे आदि) किन्तु भारतीय संविधान में 'राष्ट्रभाषा' का उल्लेख नहीं हुआ है और इस दृष्टि से हिन्दी को राष्ट्रभाषा कहने का कोई अर्थ नहीं है।
परन्तु जैसा कि अनेक विद्वानों ने स्वीकार किया है कि दंडनीति और अर्थशास्त्र दोनों समरूप नहीं हैं।
इसका मूल नाम 'पारसी' है पर अरब लोग, जिन्होंने फ़ारस पर सातवीं सदी के अंत तक अधिकार कर लिया था, की वर्णमाला में 'प' अक्षर नहीं होता है।