alo Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
alo ka kya matlab hota hai
आलो
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समूचा, बिलकुल, पूर्णतया,
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alo शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
अखंड- पूरा, समूचा, पूर्ण, अविभक्त, अजस्र, निरंतर, लगातार, अक्षय, अक्षुण्ण।
अवधी में कहीं-कहीं खड़ीबोली का ह्रस्व रूप बिलकुल लुप्त हो गया है; यथा बिल्ली, डिब्बी आदि रूप नहीं मिलते बेलइया, डेबिया आदि ही प्रचलित हैं।
और हुआ भी बिलकुल यही।
इस मामले में भारत का कर्जदार है समूचा यूरोप, यूं ही नहीं कहते विश्व गुरु।
अभिजात कुलों के लाड़ले भ्रष्टाचार में डूबे, जनवादी पाहरू बने और उसे समूचा निगल गए---पांपेई, सीजर, अंतोनी सभी।
वह पाकिस्तान जाने वाले चेनाब के पानी को बिलकुल भी नहीं रोक रहा है।
समूचा जिला एक समतल एवं उपजाऊ क्षेत्र है।
उनका समूचा साहित्य वर्तमान से मुठभेड़ करता हुआ दिखाई देता है।
उन्होंने मात्रा और गुणवत्ता की दृष्टि से इतना लिखा और इतनी दिशाओं में काम किया कि उनका समूचा रचनाकर्म पथदर्शक बन गया।
‘ज्यौस’ और ‘म्यूज’ की धारण ब्रह्मा और सरस्वती से बिलकुल मिलती-जुलती है।
ये लोग कपड़ा बुनना बिलकुल नहीं जानते और एतत्संबंधी आवश्यकता बाहर से पूरी करते है।
लगभग समूचा कृषि क्षेत्र नलकूपों द्वारा सिंचित है।
विज्ञान और तकनीकी या प्रविधिक विषयों से संबद्ध नाना पारिभाषिक शब्दकोशों में व्याख्यात्मक परिभाषाओं तथा कभी कभी अन्य साधनों की सहायता से भी बिलकुल सही अर्थ का बोध कराया जाता है।
), वीणो (दूना), टीणो (तिगुना), सजो (सारा), समूरो (समूचा) आदि कुछ शब्द निराले जान पड़ते हैं।
हालांकि, एक स्थिर हाइड्रोजन-दहन काल के पहले का और बाद का तारा बिलकुल अलग होता है।
जिसे गैर असमी समुदाय के लोग बिलकुल भी मानने को तैयार नहीं थे।
हे अर्जुन! यह योग न तो बहुत खाने वाले का, न बिलकुल न खाने वाले का, न बहुत शयन करने के स्वभाव वाले का और न सदा जागने वाले का ही सिद्ध होता है || 16 ||।
वर्तमान में इलेक्तट्रोनिक्स बिषय एक केन्द्र बिन्दु माना जा रहा है जिसके सहारे समूचा विश्व चलायमान है|।
मीठा झरना: हैप्पी वैली में स्थित यह झरना बहुत ऊंचा और बिलकुल सीधा है।
मानव बसाव: समूचा जिला गंगा के उत्तरी मैदान का हिस्सा है।
श्रीकृष्ण की लीलाओं का भी वर्णन है पर बिलकुल उस रूप में नहीं जिस रूप में भागवत में है।
लेकिन अगर हम हर चीज़ के बिलकुल ठीक हो जाने का इंतज़ार करते रहेंगे तो सब हाथ से जायेगा, न जग के रहोगे न जोगी बनोगे।
क्रिया में भविष्यकाल रूपों की प्रक्रिया खड़ीबोली से बिलकुल भिन्न है।
आज यह पर्व संपूर्ण पंचपरगना ही नही समूचा झारखंड का प्रमुख त्यौहार है जिसको मानने वाले झारखंडी के सभी जातियों विशेषकर-कुर्मी,महतो,साहु, बनिया, तेली,गोवार,।