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aidless Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)


aidless ka kya matlab hota hai


एडलेस

Adjective:

बेतुका, निष्प्रयोजन, निस्र्द्देश्य, लक्ष्यहीन,



aidless शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:



प्रकृति या स्वभाव का बेतुकापन है उजड्डपन, बेवकूफी, पाखंड, झेंप, खुशामद, अमर्यादित फैशनपरस्ती, कंजूसी, दिखावा पंडितमन्यता, अतिहास्यपात्रता, अनधिकारपूर्ण अहंमन्यता, आदि।

कोई भी पात्र, कोई भी कथोप-कथन, कोई भी घटना, कोई भी प्राकृतिक दृश्य निष्प्रयोजन नहीं है।

वाणी का बेतुकापन है हकलाना, बात बात पर "जो है सो" के सदृश तकियाकलाम लगाना, शब्दस्खलन करना ("जल भरो" की जगल "भल जरो" कह देना), अमानवी ध्वनियाँ (मिमियाना, रेंकना, स्वरवैषमय अथवा फटे बँस की सी आवाज, बैठे गले की फुसफुसाहट आदि), शेखी के प्रलाप, गपबाजी (जो अभिव्यंजना की विधा के रूप की न हो), पंडिताऊ भाषा, गँवारू भाषा, अनेक भाषा के शब्दों की खिचड़ी, आदि।

आकृति का बेतुकापन है मोटापा, कुरूपता, भद्दापन, अंगभंग, बेजा नजाकत, तोंद, कूबड़, नारियों का अत्यंत कालापन, आदि।

वेश का बेतुकापन, हास्पात्र नटों और विदूषकों का प्रिय विषय ही रहा है और प्रहसनों, रामलीलाओं, रासलीलाओं, "गम्मत", तमाशों आदि में आसानी से दिया जा सकता है।

अकारण- बेमतलब, बेबात, बेवजह, बेसबब, नाहक, कारणरहित, निष्प्रयोजन

अव्यवस्थित- क्रमहीन, बेतरतीब, अनियमित, अस्त-व्यस्त, विपर्यस्त, अटपटा, बेतुका, बेढंगा, बेकायदा, बे सिर-पैर का, अंट-संट, अंड-बंड, उलटा-पुलटा, ऊटपटाँग, ऊलजलूल, अनाप-शनाप।

भ्रम को, बेतुका या तर्क-संगत और मनोदशा-अनुरूप या मनोदशा-तटस्थ, इन दो वर्गों में वर्गीकृत किया गया है।

अनावश्यक- अनपेक्ष, निष्प्रयोजन, व्यर्थ, बेकार, अनपेक्षित, फिजूल, फालतू, गैर-लाजिमी, गैर-जरूरी, गौण।

असुन्दर- कुरूप, बदसूरत, बदशक्ल, बेडौल, भौंडा, अनपयुक्त, भद्दा, बेतुका, बेढब, बेढंगा।

विकृति का तात्पर्य है प्रत्याशित से विपरीत अथवा विलक्षण कोई ऐसा वैचित्र्य, कोई ऐसा बेतुकापन, जो हमें प्रीतिकर जान पड़े, क्लेशकर न जान पड़े।

व्यवहार का बेतुकापन है असमंजस घटनाएँ, फूहड़ हरकतें, अतिरंजना, चारित्रिक विकृति, सामाजिक उच्छ्रंखलताएँ, कुछ का कुछ समझ बैठना, कह बैठना या कर बैठना, कठपुतलीपन (यंत्रवत् व्यवहार जिसें विचार या विवेक का प्रभाव शून्यवत् रहता है) इत्यादि।

किंतु जड़ बाह्यथार्थवाद भोग्य होने के कारण किसी चेतन भोक्ता के अभाव में अपार्थक या अर्थशून्य अथवा निष्प्रयोजन है, अत: उसकी सार्थकता के लिए सांख्य चेतन पुरुष या आत्मा को भी मानने के कारण अध्यात्मवादी दर्शन है।

परिस्थिति का बेतुकापन है गंगामदारी जोड़ा (उदाहणार्थ "कौवा के गले सोहारी", हूर के पहल में लंगूर", "पतलून के नीचे धोती", "गदहे सों बाचालता अरु धोबी सों मौन", आदि) समय की चूक (अवसर चूकी ग्वालिनी, गावै सारी रात) समाज की असमंजसता में व्यक्ति की विवशता आदि।

इसमें कवि को विलक्षण सफलता यह मिली है कि उसने कहीं भी कोई भी वस्तु निष्प्रयोजन नहीं कही।

बेतुका भ्रम वह होता है जो बहुत ही अजीबो-ग़रीब और बिलकुल असंभव होता है; उदाहरण के तौर पर कि किसी परकीय ने भ्रमित व्यक्ति का मस्तिष्क बाहर निकाल दिया है।

कविता-संग्रह 'बेतुका हाथी' के बाद 'मगरमच्छ गेना और उसके दोस्त' नामक बाल-उपन्यास लिखा और इसके बाद 'अमर कशेई के तीन दिन' नामक नाटक।

असंभवता या विषय की असत्यता (अकल्पनीय, बेतुका या बिलकुल स्पष्ट रूप से असत्य)।

बौद्धकाल के बाद यज्ञों का चलन बहुत कम हो गया, वेदपाठ निष्प्रयोजन सा प्रतीत होने लगा।

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