accedence Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
accedence ka kya matlab hota hai
स्वीकार
Noun:
शब्द-रूप,
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accedence शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
सर्वोच्च न्यायालय ने इनकी याचिका स्वीकार कर इन्हें स्कूल को वापस लेने को कहा।
(६) शब्द-रूप - विश्व की सभी भाषाओं में एक शब्द का एक या कुछ ही रूप होते हैं, जबकि संस्कृत में प्रत्येक शब्द के 27 रूप होते हैं।
जिस प्रकार भारतीय अंकों को उनकी वैज्ञानिकता के कारण विश्व ने सहर्ष स्वीकार कर लिया वैसे ही देवनागरी भी अपनी वैज्ञानिकता के कारण ही एक दिन विश्वनागरी बनेगी।
(६) एक सर्वमान्य लिपि स्वीकार करने से भारत की विभिन्न भाषाओं में जो ज्ञान का भंडार भरा है उसे प्राप्त करने का एक साधारण व्यक्ति को सहज ही अवसर प्राप्त होगा।
हमारे लिए यदि कोई सर्व-मान्य लिपि स्वीकार करना संभव है तो वह देवनागरी है।
सबने स्वीकारा है देवनागरी की वैज्ञानिकता को (प्रभासाक्षी)।
धातु boy, प्रातिपदिक boy का कार्य भी करता है, जिसका विभक्ति लगा हुआ बहुवचन प्रत्यय हो सकता है -s उसमें जोड़ने पर विभक्ति वाला शब्द-रूप boys बनता है।
कई अन्य विद्वान सम्राट सेण्ड्राकोटस (जो यूनानी इतिहास में सम्राट चन्द्रगुप्त का पर्यायवाची है) के आधार पर निश्चित की हुई इस तिथि को स्वीकार नहीं करते।
स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद ने संविधान सभा में २४ जनवरी १९५० में 'वन्दे मातरम्' को राष्ट्रगीत के रूप में अपनाने सम्बन्धी वक्तव्य पढ़ा जिसे स्वीकार कर लिया गया।
पाश्चात्य विद्वान फ्लीट, जौली आदि ने इस पुस्तक को एक ‘अत्यन्त महत्त्वपूर्ण’ ग्रंथ बतलाया और इसे भारत के प्राचीन इतिहास के निर्माण में परम सहायक साधन स्वीकार किया।
सनातन धर्म में चार पुरुषार्थ स्वीकार किए गये हैं जिनमें धर्म प्रमुख है।
परन्तु जैसा कि अनेक विद्वानों ने स्वीकार किया है कि दंडनीति और अर्थशास्त्र दोनों समरूप नहीं हैं।
अधिकतर ये शब्द-रूप शब्द के अन्त में प्रत्यय द्वारा बनाये जाते थे (end-inflection)।
अपने पूर्व अर्थशास्त्रों की रचना की बात स्वयं कौटिल्य ने भी स्वीकार किया है।
संस्कृत में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के कई तरह से शब्द-रूप बनाये जाते हैं, जो व्याकरणिक अर्थ प्रदान करते हैं।
अनन्त शयनम् अयंगार तो दक्षिण भारतीय भाषाओं के लिए भी देवनागरी की संभावना स्वीकार करते थे।
अधिकांश शब्द-रूप मूलशब्द के अन्त में प्रत्यय लगाकर बनाये जाते हैं।
इस अंग का उद्देश्य सन्धि, शब्द-रूप, धातु-रूप तथा इनकी निर्माण-पद्धति का ज्ञान कराना था।
इन भाषाओं की विशेषताएं है कि सभी प्राचीन हिन्द-यूरोपीय भाषाओं (जैसे लैटीन, प्राचीन यूनानी भाषा, संस्कृत, आदि) में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के कई शब्द-रूप होते थे, जो वाक्य में इनका व्याकरणिक रूप दिखाते थे।
मध्यकालीन भारत का इतिहास भाषाविज्ञान में रूपिम की संरचनात्मक इकाई के आधार पर शब्द-रूप (अर्थात् पद) के अध्ययन को पदविज्ञान या रूपविज्ञान (मॉर्फोलोजी) कहते हैं।
14 सितम्बर 1949 को हिन्दी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया था।
"पथोम" का अर्थ व उत्पत्ति संस्कृत के "प्रथम" शब्द और उसके पालि भाषा के "पथम" शब्द-रूप से है।
प्रणवानंद बताते हैं कि "ti" (ति), "te" (ते) और "teh" (तेह) शब्दों की व्युत्पत्ति बोले जाने वाले शब्द 'tre' (ट्रे) (वर्तनी "dred" (ड्रेड)) से हुई है जो बेर (भालू) का तिब्बती शब्द-रूप है, जिसके 'r' का उच्चारण इतनी धीमी आवाज़ में किया जाता है कि यह लगभग सुनाई ही नहीं देता, इस प्रकार यह "te" (ते) या "teh" (तेह) बन जाता है।
कुछ "दिवाता" ("देवता" का एक शब्द-रूप) दयालु होती हैं और मनुष्यों को मदद करने की चेष्टा करती हैं।
ई-शिक्षा के समानार्थक शब्दों के रूप में सीबीटी (CBT) (कंप्यूटर आधारित प्रशिक्षा), आईबीटी (IBT) (इंटरनेट-आधारित प्रशिक्षा) या डब्ल्यूबीटी (WBT) (वेब-आधारित प्रशिक्षा) जैसे संक्षिप्त शब्द-रूपों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
2003 में, जापान के पर्वतारोही मकोतो नेबुका ने अपने बारह वर्षीय भाषाविज्ञान संबंधी अध्ययन के परिणामों को प्रकाशित किया जिसमें उन्होंने दावा किया कि "यति" शब्द वास्तव में "मति" शब्द का एक बिगड़ा हुआ रूप है, जो क्षेत्रीय भाषा में "भालू" शब्द का ही एक शब्द-रूप है।