abhorrently Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
abhorrently ka kya matlab hota hai
घृणित
Adjective:
घिनौनापन, बीभत्स, घिनौना,
People Also Search:
abhorrerabhorrers
abhorring
abhors
abib
abid
abidance
abidances
abide
abide by
abided
abides
abidi
abiding
abidingly
abhorrently शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
भरतमुनि (2-3 शती ई.) ने काव्य के आवश्यक तत्व के रूप में रस की प्रतिष्ठा करते हुए शृंगार, हास्य, रौद्र, करुण, वीर, अद्भुत, बीभत्स तथा भयानक नाम से उसके आठ भेदों का स्पष्ट उल्लेख किया है तथा कतिपय पंक्तियों के आधार पर विद्वानों की कल्पना है कि उन्होंने शांत नामक नवें रस को भी स्वीकृति दी है।
জজজ शैवों में भक्तिमार्ग के अतिरिक्त बीभत्स आचारोंवाले कुछ संप्रदाय, पाशुपत, कापालिक और कालामुख जैसे थे, जिनमें से कुछ स्त्रीत्व की आराधना करते थे, जो प्राय: विकृत रूप ले लेती थी।
तथापि यह उत्पत्ति सिद्धांत आत्यंतिक नहीं कहा जा सकता, क्योंकि परपक्ष का रौद्र या वीर रस स्वपक्ष के लिए भयानक की सृष्टि भी कर सकता है और बीभत्सदर्शन से शांत की उत्पत्ति भी संभव है।
भूमिका में स्वीकृत पद, प्रकृति, रस और भाव के अनुसार छह प्रकार की गतियों में अभिनय होता है---अत्यंत करुण में स्तब्ध गति, शांत में मंद गति, श्रृंगार, हास और बीभत्स में साधारण गति, वीर में द्रुत गति, रौद्र में वेगपूर्ण गति और भय में अतिवेगपूर्ण गति।
इसी प्रकार बीभत्सदर्शन से भयानक की उत्पत्ति भी संभव है।
इसी प्रकार यदि शृंगार में चित्त की द्रवित स्थिति, हास्य तथा अद्भुत में उसका विस्तार, वीर तथा रौद्र में उसकी दीप्ति तथा बीभत्स और भयानक में उसका संकोच मान लें तो भी भरत का क्रम ठीक नहीं बैठता।
शृंगार का स्थायी रति, हास्य का हास, रौद्र का क्रोध, करुण का शोक, वीर का उत्साह, अद्भुत का विस्मय, बीभत्स का जुगुप्सा, भयानक का भय तथा शांत का स्थायी शम या निर्वेद कहलाता है।
यथा, शांत रस और दयावीर तथा वीभत्स में से दयावीर का शांत में अंतर्भाव तथा बीभत्स स्थायी जुगुप्सा को शांत का स्थायी माना गया है।
उनके पश्चात् धनंजय (10वीं शती) ने चित्त की विकास, विस्तार, विक्षोभ तथा विक्षेप नामक चार अवस्थाएँ मानकर शृंगार तथा हास्य को विकास, वीर तथा अद्भुत को विस्तार, बीभत्स तथा भयानक को विक्षोभ और रौद्र तथा करुण को विक्षेपावस्था से संबंधित माना है।
जीवाणु अस्त्र में रोग फैलानेवाले जीवाणु होते हैं और जिस युद्ध में ये इस्तेमाल किए जाते हैं वह बहुत बीभत्स एवं संहारक होता है।
सुखात्मक रसों में शृंगार, वीर, हास्य, अद्भुत तथा शांत की और दु:खात्मक में करुण, रौद्र, बीभत्स तथा भयानक की गणना की गई।
करुण, बीभत्स, रौद्र, वीर और भयानक से शृंगार का; भयानक और करुण से हास्य का; हास्य और शृंगार से करुण का; हास्य, शृंगार और भयानक से रौद्र का; शृंगार, वीर, रौद्र, हास्य और शात से भयानक का; भयानक और शांत से वीर का; वीर, शृंगार, रौद्र, हास्य और भयानक से शांत का विरोध माना जाता है।