सुखदायक Meaning in English
सुखदायक शब्द का अंग्रेजी अर्थ : pleasure giving
ऐसे ही कुछ और शब्द
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सुखदायक हिंदी उपयोग और उदाहरण
अंत में, एक गर्म और सुखदायक आवाज उसे बताता है कि वह उसके दोस्त होने जा रहा है।
शारीरिक आकर्षण सौंदर्यबोध की दृष्टि से वो भावना है जिससे किसी व्यक्ति के शारीरिक लक्षण सुखदायक और सुंदर या खूबसूरत माने जाते हैं।
घृत कुमारी के अर्क का प्रयोग बड़े स्तर पर सौंदर्य प्रसाधन और वैकल्पिक औषधि उद्योग जैसे चिरयौवनकारी (त्वचा को युवा रखने वाली क्रीम), आरोग्यी या सुखदायक के रूप में प्रयोग किया जाता है, लेकिन घृत कुमारी के औषधीय प्रयोजनों के प्रभावों की पुष्टि के लिये बहुत कम ही वैज्ञानिक साक्ष्य मौजूद है और अक्सर एक अध्ययन दूसरे अध्ययन की काट करता प्रतीत होता है।
आप हावभाव दिखाकर अर्थात् तेवर दिखाकर, एक कठोर या सुखदायक आवाज का इस्तेमाल करके व्यवहार को बदल सकते हैं; ये सभी उपयुक्त तकनीक हैं।
एक थ्रिलर फिल्म, डेक्कन हेराल्ड के एक समीक्षक ने इसे 'निश्चित रूप से देखने लायक' के रूप में वर्णित किया, जिसमें सभी स्वादों के लिए कुछ है - एक सुखद प्रेम कोण, कुछ रहस्य, जटिल मनोवैज्ञानिक बारीकियाँ, अच्छा अभिनय, सुखदायक गीत $अजीत के प्रदर्शन की प्रशंसा करते हुए$।
द्वापर युग के आरंभ में महिष्मति नाम की एक नगरी थी, जिसमें महीजित नाम का राजा राज्य करता था, लेकिन पुत्रहीन होने के कारण राजा को राज्य सुखदायक नहीं लगता था।
यहीं उन्होंने तत्कालीन वाइसराय को कहा था, मैं चाहता हूं विदेशियों का राज्य भी पूर्ण सुखदायक नहीं है।
‘‘ श्रीयुत गुनगाहक गुनियन-सुखदायक जान गिलकिरिस्त महाशय की आज्ञा से सम्वत् 1860 (अर्थात् सन् 1803 ई0) में श्री लल्लू जी लाल कवि ब्राह्मन गुजराती सहस्र अवदीच आगरे वाले ने जिसका सार ले, यामिनी भाषा छोड़, दिल्ली आगरे की खड़ी बोली में कह, नाम ‘प्रेमसागर' धरा''।
श्रीयत गुन-गाहक गुनियन-सुखदायक जान गिलकिरिस्त महाशय की आज्ञा से सं. 1860 में श्री लल्लूलालजी लाल कवि ब्राह्मन गुजराती सहस्र-अवदीच आगरे वाले ने विसका सार ले, यामिनी भाषा छोड़।
सेवत सुलभ सकल सुखदायक, प्रणतपाल सचराचर नायक॥' अर्थात् जिनके चरणों की वन्दना विधि, हरि और हर यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ही करते है, तथा जिनके स्वरूप की प्रशंसा सगुण और निर्गुण दोनों करते हैं: उनसे वे क्या वर माँगें? इस बात का उल्लेख करके तुलसीदास ने उन लोगों को भी राम की ही आराधना करने की सलाह दी है जो केवल निराकार को ही परमब्रह्म मानते हैं।
उन्होंने राजगृह के जिन स्थानों को रुचिकर एवं सुखदायक बताया था उनमें गृधकूट भी है।
क्रोचे तो अनुभूति को शरीर के योगक्षेम से संबंधित भीतरी क्रिया मानते हैं इसलिए इसे सुखदायक-दुखदायक, उपयोगी-अनुपयोगी, लाभकारी-हानिकारी दो पशुओं को आवश्यक माना जाता है।