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वेद के मंत्र Meaning in English



वेद के मंत्र शब्द का अंग्रेजी अर्थ : mantras of the Vedas


वेद-के-मंत्र हिंदी उपयोग और उदाहरण

* ऋग्वेद के मंत्र ७.९.५२ तथा अन्य जैसे ८.२१.१८ में सरस्वती नदी को 'दूध और घी' से परिपूर्ण बताया गया है।


सामवेद के मंत्रों के गान पर पर्याप्‍त साहि‍त्‍य रचना हुई है।


ऋग्वेद के मंत्रों की रचना भी यहीं हुई है।


जिस प्रकार से ऋग्वेद के मंत्रों को ऋचा कहते हैं और यजुर्वेद के मंत्रों को यजूँषि कहते हैं उसी प्रकार सामवेद के मंत्रों को सामानि कहते हैं।


संस्कृत मुंडकोपनिषद् दो-दो खंडों के तीन मुंडकों में, अथर्ववेद के मंत्रभाग के अंतर्गत आता है।


अथर्ववेद के मंत्रों में गायन-वादन का एक साथ उल्लेख देखने को मिलता है।


ऋग्वेद के मंत्रों में त्रिष्टुप् को छोड़कर सबसे अधिक संख्या गायत्री छंदों की है।


वेदों की व्याख्यानप्रणाली के विभिन्न संप्रदायों में यास्क ने ऐतिहासिकों के संप्रदाय का अनेक बार उल्लेख किया है जिनके अनुसार 'वृत्र' त्वाष्ट्र असुर की संज्ञा है और देवों के अधिपति इंद्र के साथ उसके घोर संघर्ष और तुमुल संग्राम का वर्णन ऋग्वेद के मंत्रों में किया गया है।


"" ऋग्वेद के मंत्रों की रचना भी यहीं हुई है।


जिस मन में ऋग्वेद की ऋचाएँ और जिसमें सामवेद तथा यजुर्वेद के मंत्र उसी प्रकार प्रतिष्ठित है, जैसे रथ चक्र की नाभि में तीलियाँ जुड़े रहते हैं, जिस मन में प्रजाओं का सारा ज्ञान (पट में तंतु की भाँति) ओतप्रोत रहता है, वह मेरा मन कल्याणकारी संकल्प वाला हो।


अलंकारों की, विशेषतः उपमा, रूपक, स्वाभावोक्ति तथा अतिशयोक्ति की, उपलब्धि ऋग्वेद के मंत्रों में निश्चित रूप से होती है, परन्तु वैदिक युग में इस शास्त्र के आविर्भाव का प्रमाण नहीं मिलता।


"" ऋग्वेद के मंत्रों में त्रिष्टुप् को छोड़कर सबसे अधिक संख्या गायत्री छंदों की है।


वैदिक काल में सामवेद के मंत्रों का उच्चारण उस समय के वैदिक सप्तक या सामगान के अनुसार सातों स्वरों के प्रयोग के साथ किया जाता था।





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