महाप्रभु Meaning in English
महाप्रभु शब्द का अंग्रेजी अर्थ : the great preceptors Vallabhacharya and Chaitanya
ऐसे ही कुछ और शब्द
सबसे महानजहाज़ का सब से बड़ा लंगर
सब से बड़ा सरदार
महानतम सामान्य कारक
सब से बड़ा शूरवीर
छोटे गड्ढे के आस पास का मैदान
शिक्षा के गूरु
बृहस्पति
चौंकने की आदत
दूसरों पर हावी होने की आदत
ताक झाँक की आदत
नशा उतारने के लिए शराब
हैमर्स
हैथ्स
भाईचारे का ताप
महाप्रभु हिंदी उपयोग और उदाहरण
श्री मन्महाप्रभु वल्लभाचार्यजी के पुष्टिमार्ग [अनुग्रह मार्ग] का यही आधारभूत सिद्धांत है।
निताई गौरंगा (चैतन्य महाप्रभु और नित्यानन्दा),।
चैतन्य महाप्रभु, स्वामी हरिदास, श्री हितहरिवंश, महाप्रभु वल्लभाचार्य आदि अनेक गोस्वामी भक्तों ने इसके वैभव को सजाने और संसार को अनश्वर सम्पति के रूप में प्रस्तुत करने में जीवन लगाया है।
बंगाल के एक शासक के मंत्री रूपगोस्वामी तो मंत्री पद त्यागकर चैतन्य महाप्रभु के शरणागत हो गए थे।
युग प्रवर्तक हित हरिवंश महाप्रभु ब्रज में यमुना तट पर मानसरोवर के निकट भांडीरवन के भंवरनीनामक निकुंज में संवत् 1609की आश्विन पूर्णिमा (शरद पूर्णिमा) की रात्रि को प्रिया जी! आप कहां हो? कहां हो? कहते हुए और देखते ही देखते लोक दृष्टि से ओझल हो गए।
15वीं शती में चैतन्य महाप्रभु ने अपनी ब्रजयात्रा के समय वृन्दावन तथा कृष्ण कथा से संबंधित अन्य स्थानों को अपने अंतर्ज्ञान द्वारा पहचाना था।
"" किन्तु लगभग साढ़े चार हज़ार वर्षों के बाद ये सारी लीला-स्थलियाँ पुन: लुप्त हो गईं, महाप्रभु चैतन्य ने तथा श्री रूप-सनातन आदि अपने परिकारों के द्वारा लुप्त श्रीवृन्दावन और ब्रजमंडल की लीला-स्थलियों को पुन: प्रकाशित किया।
भक्तिकाल अष्टछाप, महाप्रभु श्री वल्लभाचार्य जी एवं उनके पुत्र श्री विट्ठलनाथ जी द्वारा संस्थापित 8 भक्तिकालीन कवियों का एक समूह था, जिन्होंने अपने विभिन्न पद एवं कीर्तनों के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का गुणगान किया।
चैतन्य महाप्रभु ने जिस गौड़ीय वैष्णव सम्प्रदाय की आधारशिला रखी गई थी, उसके संपोषण में उनके षण्गोस्वामियों की अत्यंत अहम् भूमिका रही।
वर्ष 2015 में चैतन्य महाप्रभु के वृन्दावन आगमन के पंचशती समारोह के अंतर्गत वृन्दावन शोध संस्थान के सौजन्य से 'चैतन्य हुआ वृन्दावन' नामक नाटक का निर्देशन किया।
""महाप्रभु चैतन्य (1485-1533 ई.) के इस संप्रदाय में अनंत गुणनिधान, सच्चिदानंद श्रीकृष्ण परब्रह्म माने गए हैं।
किन्तु लगभग साढ़े चार हज़ार वर्षों के बाद ये सारी लीला-स्थलियाँ पुन: लुप्त हो गईं, महाप्रभु चैतन्य ने तथा श्री रूप-सनातन आदि अपने परिकारों के द्वारा लुप्त श्रीवृन्दावन और ब्रजमंडल की लीला-स्थलियों को पुन: प्रकाशित किया।
श्री हित हरिवंश चन्द्र महाप्रभु में अनेकानेक विलक्षण प्रतिभाएं थीं।