बेगार Meaning in English
बेगार शब्द का अंग्रेजी अर्थ : unshaved
, forced service
ऐसे ही कुछ और शब्द
बलयुक्तजबरदस्ती मांगनेवाला
ज़ोरदार
ज़बर्दस्त फटकार
ज़बरदस्ती से
ज़बर्दस्त रूप से
बल पूर्वक
ज़बर्दस्ती
ज़बर्दस्त ढंग से
जबर्दस्ती गले मढना
ज़बर्दस्ती छूना
बलहीनता
बलसम्पादित
बलपूर्ण
ज़बर्दस्ती का
बेगार हिंदी उपयोग और उदाहरण
अनुसूया प्रसाद बहुगुणा एक सामाजिक कार्यकर्त्ता भी थे तथा घृणित कुली-बेगार प्रथा की समाप्ति के सूत्रधार थे।
अनुच्छेद 23 के प्रावधान के अनुसार मानव तस्करी को प्रतिबन्धित है, इसे कानून द्वारा दंडनीय अपराध बनाया गया है, साथ ही बेगार या किसी व्यक्ति को पारिश्रमिक दिए बिना उसे काम करने के लिए मजबूर करना जहां कानूनन काम न करने के लिए या पारिश्रमिक प्राप्त करने के लिए हकदार है, भी प्रतिबंधित किया गया है।
अंग्रेजों द्वारा बेगार लेने और किसानों की गाड़ियां मांगने की प्रवृत्ति के विरोध में आपने जनमत तैयार किया था।
"" अनुच्छेद 23 के प्रावधान के अनुसार मानव तस्करी को प्रतिबन्धित है, इसे कानून द्वारा दंडनीय अपराध बनाया गया है, साथ ही बेगार या किसी व्यक्ति को पारिश्रमिक दिए बिना उसे काम करने के लिए मजबूर करना जहां कानूनन काम न करने के लिए या पारिश्रमिक प्राप्त करने के लिए हकदार है, भी प्रतिबंधित किया गया है।
ये जागीरदार किसानों से न केवल मनमाना लगान (पैदावार का आधा भग) वसूल करते थे बल्कि विभिन्न नामों से अनेक लागबों व बेगार भी वसूल करते थें किसानों का भूमि पर कोई अधिकार नहीं था और जागीरदार जब चाहे किसान को जोतने के लिए दे देता था।
वर्ष १९२१ के उत्तरायणी मेले के अवसर पर कुमाऊँ केसरी बद्री दत्त पाण्डेय, हरगोविंद पंत, श्याम लाल साह, विक्टर मोहन जोशी, राम लाल साह, मोहन सिह मेहता, ईश्वरी लाल साह आदि के नेतृत्व में सैकड़ों आन्दोलनकारियों ने कुली बेगार के रजिस्टर बहा कर इस कलंकपूर्ण प्रथा को समाप्त करने की कसम इसी सरयू तट पर ली थी।
पर वास्तविकता के धरातल पर सच यह था इन सम्पन्न भू-स्वामी व जमीदारों ने अपने हिस्सों का कुली बेगार, भूमि विहीन कृषकों, मजदूरों व समाज के कमजोर तबकों पर लाद दिया जिन्होंने इसे सशर्त पारिश्रमिक के रूप में स्वीकार लिया।
वहाँ शिल्पियों को शासन द्वारा बेगार में अथवा वेतन- मजदूरी पर काम करना होता था।
हल जोतने वाले, बेगार करने वाले, प्लेग और सरकार का मुकाबला करने वाले किसान इसके नायक हैं।
1. प्रत्येक व्यक्ति को काम करने, इच्छानुसार रोजगार के चुनाव, काम की उचित और सुविधाजनक परिस्थितियों को प्राप्त करने और बेगारी से संरक्षण पाने का हक है।
अफ्रीका के अनेक देशों एवं संयुक्त राज्य अमरीका के दक्षिणी राज्यों में अभी भी किसी-न-किसी रूप में दासप्रथा, रंगभेद तथा बेगारी मौजूद हैं।
उन्होने अपने अपने अस्त्र-सस्त्र उठाये और साथी सावलदास पहलवान, हेमा बागडवा ढाढी, गुमानाराम तावणिया, राधो व बाधो दो बेगारी व अन्य साथियों सहित गायों के रक्षार्थ सफ़ेद घोडी पर सवार होकर मालासर से रवाना हुये।
कुली-बेगार प्रथा के रजिस्टरों को सरयू की धारा में बहाकर यहाँ के लोगों ने अपने अंचल में गाँधी जी के असहयोग आन्दोलन शुरवात सन १९२० ई. में की।