पूग Meaning in English
पूग शब्द का अंग्रेजी अर्थ : assemblage of persons
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पूग हिंदी उपयोग और उदाहरण
1. गणाः पाषंडपूगाश्च व्राताश्च श्रेणयस्तथा।
""पूग संभवतः ऐसे व्यक्तियों का संगठन होता था, जिनका पैत्रिक व्यवसाय युद्ध अथवा सेवाकर्म था; अर्थात ऐसे लोग जो वर्ण-विभाजन की दृष्टि से वाणिज्यकर्म के लिए अधिकृत नहीं थे।
इनमें भी जो कुछ विकसित थे उन्हें पूग और जो पिछड़े हुए थे उन्हें ब्रात कहा जाता था।
तीजां पहल्यां पूगणों नगरी पनेरा ठेठ।
आगे उन्हीं का स्वरूपवर्ग, श्रेणी पूग और जानपद आदि में बदल गया।
पूग एक स्थान की विभिन्न जातियों एवं विभिन्न व्यवसाय वाले लोगों का समुदाय है और श्रेणि विभिन्न जातियों के लोगों का समुदाय है—जैसे हेलाबुकों, तांबूलिकों, कुविंदों (जुलाहों) एवं चर्मकारों की श्रेणियां. चाहमान विग्रहराज के प्रस्तरलेख में हेलाबुकों को प्रत्येक घोड़े के लिए एक द्रम्म देने का वृत्तांत मिलता है।
पूग संभवतः ऐसे व्यक्तियों का संगठन होता था, जिनका पैत्रिक व्यवसाय युद्ध अथवा सेवाकर्म था; अर्थात ऐसे लोग जो वर्ण-विभाजन की दृष्टि से वाणिज्यकर्म के लिए अधिकृत नहीं थे।
गण, पूग, पाणि, व्रात्य, संघ, निगम अथवा नैगम, श्रेणि जैसे कई नाम थे, जिनमें श्रेणि सर्वाधिक प्रचलित संज्ञा थी।
पाणिनि ने व्रात और पूग इन संज्ञाओं से बताया है कि इनमें से बहुत से कबीले उत्सेधजीवी या लूटपाट करके जीवन बिताते थे जो आज भी वहाँ के जीवन की सच्चाई है।
दूसरी ओर यह भी सच है कि पूग, व्रात्य, निगम, श्रेणि इत्यादि विभिन्न नामों से पुकारे जाने के बावजूद सहयोगाधारित संगठनों के बीच उनके कार्यकलापों अथवा श्रेणिधर्म के आधार पर कोई स्पष्ट सीमारेखा नहीं थी।
"" इन जातियों की शासनसभा को इस समय जिर्गा कहते हैं और पाणिनि के युग में उसे 'ब्रातपूग', $संघ$ या $गण$ कहते थे।
‘पूग एक स्थान की विभिन्न जातियों एवं विभिन्न व्यवसाय वाले लोगों का समुदाय है और श्रेणि विभिन्न जातियों के लोगों का समुदाय है—जैसे हेलाबुकों, तांबूलिकों, कुविंदों (जुलाहों) एवं चर्मकारों की श्रेणियां. चाहमान विग्रहराज के प्रस्तरलेख में ‘हेड़ाविकों को प्रत्येक घोड़े के एक द्रम्म देने का वृत्तांत मिलता है।
2 इसी प्रकार कौषीतकिब्राह्मण उपनिषद् में पूग को रुद्र की उपमा दी गई है।