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पुंकेसर Meaning in English



पुंकेसर शब्द का अंग्रेजी अर्थ : ponkesar
, male organ in flowers


पुंकेसर हिंदी उपयोग और उदाहरण

कुछ फल में, विशेष रूप से साधारण फल एक अवर अंडाशय से विकसित होते हैं, पुष्प के अन्य भाग जैसे पुष्प नलिका, दल, बाह्यदल और पुंकेसर के अंडाशय के साथ जुड़ कर इसी के साथ पकते हैं।


इसके पुष्प सफेद होते हैं तथा प्रत्येक पुष्प में चार विदरित बाह्यदलपुंज (calyx) तथा दलपुंज (corolla), दो पुंकेसर तथा द्विशाख वर्तिंकाग्र (stigma) होते हैं।


और पानी की सतह पर परागण की प्रक्रिया सम्पन्न होती है, जिसमें नर पुष्प का पुंकेसर मादा के वर्तिकाग्र से होकर अंडाशय तक पहुँचता है।


कुछ फूलों में पुंकेसर और स्त्रीकेसर दोनों स्वनिषेचन में सक्षम होते हैं, जो कि बीजों के उत्पादन के अवसर बढ़ा देता है परन्तु आनुवंशिक विविधता को सीमित कर देता है।


पुमंग (androecium) पुष्प का नर भाग है, जिसें पुंकेसर बनते हैं।


फूलों के असंख्य रोएंदार पुंकेसर होते हैं जो सफेद, मक्खनी, पीले या गुलाबी हो सकते हैं; कली में, पुंकेसर ऑपरक्युलम नामक एक बाह्य आवरण से ढंके होते हैं, यह आवरण सेपलों या पंखुड़ियों या दोनों से बना होता है।


"" फिर भी कुछ पौधों कि नस्लों में फूल अपूर्ण या एक लिंगीय होते हैं: या तो केवल पुंकेसर या स्त्रीकेसर अंगों को धारण किया हुए.पहले मामले में अगर एक विशेष पौधा जो कि या तो मादा या पुरूष है तो ऐसी नस्ल को डायोइसिअस (dioecious) माना जाता है।


फिर भी कुछ पौधों कि नस्लों में फूल अपूर्ण या एक लिंगीय होते हैं: या तो केवल पुंकेसर या स्त्रीकेसर अंगों को धारण किया हुए.पहले मामले में अगर एक विशेष पौधा जो कि या तो मादा या पुरूष है तो ऐसी नस्ल को डायोइसिअस (dioecious) माना जाता है।


उनका रूपाकार विशिष्ट होता है और पुंकेसर की ऐसी व्यवस्था होती है कि पराग के दाने अपने आप पक्षियों या कीटपतंगों के साथ चिपककर स्थानान्तरित हो जायें और जब वह दूसरे पौधों पर बैठे तब वहाँ स्थानांतिरित हो जाएँ।


ऍनड्रोसियम (Androecium) (यूनानी ऍनड्रोस ओइकिया : मनुष्य के घर): पुंकेसर (stamen) के एक या दो वोर्ल, प्रत्येक एक रेशा (filament) होता है जिसके ऊपर परागाशय (anther) होता है जो जिसमें पराग (pollen) का उत्पादन होता है।


पुमंग (androecium) में १० या अधिक पुंकेसर (stamens) होते हैं।


यह फल एक ही पुष्प जिसमे कई साधारण पुंकेसर हो, से विकसित होते हैं।


बीजाण्ड एक प्रक्रिया जिसे परागण कहते हैं, द्वारा निषेचित होता है, इस प्रक्रिया मे पराग कण पुष्पों के पुंकेसर से वर्तिकाग्र को संचारित होते हैं।





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