पाठभेद Meaning in English
पाठभेद शब्द का अंग्रेजी अर्थ : back difference
, textual difference
ऐसे ही कुछ और शब्द
पाठवादपाठ्यता से
बुनावट
बुनावटदार
बनावट से
तेज़ाब परीक्षण
टफ्ट्स
ट्गल
गु
वां
थाले
थडियस
थाईलैंड
थाइन
ठक्कर खाना
पाठभेद इसके अंग्रेजी अर्थ का उदाहरण
Therefore, personality alone might be insufficient to predict associative learning due to contextual differences.
There are minor textual differences between the American and British editions of the book.
पाठभेद हिंदी उपयोग और उदाहरण
सिद्धगन्धर्व-यज्ञज्ञैरसुरैरमरैरपि यह पाठभेद भी दिखता है ।
विज्ञानभिक्षु के द्वारा योगसूत्र में पाठभेद - 1/17, 1/21, 1/25, 2/23।
कुन्दलाल शर्मा जी का विचार हैः– 'इस प्रकार के पाठ–भेद या प्रक्षेप कुमारिल से पूर्व ही किए गए थे क्योंकि 'तन्त्र वार्त्तिक'* में इस प्रकार के पाठभेदों की चर्चा की गई है।
""सुभाषितरत्नकोश (उपरोक्त से कुछ पाठभेद) भिलावाँ या भिलावा या भल्लातक (वैज्ञानिक नाम : Semecarpus anacardium ; संस्कृत : अग्निमुख) एक वृक्ष है जो भारत के बाहरी हिमालयी क्षेत्र से लेकर कोरोमंडल तट तक पाया जाता है।
सुभाषितरत्नकोश (उपरोक्त से कुछ पाठभेद) भिलावाँ या भिलावा या भल्लातक (वैज्ञानिक नाम : Semecarpus anacardium ; संस्कृत : अग्निमुख) एक वृक्ष है जो भारत के बाहरी हिमालयी क्षेत्र से लेकर कोरोमंडल तट तक पाया जाता है।
किसी किसी का मत है कि साम्बपुराण, भास्कर, आदित्य, भानव और सौरपुराण एक ही ग्रंथ हैं, केवल नाम भिन्न भिन्न हैं, परन्तु यह कथन गलत है, क्योंकि देवी भागवत ने आदित्यपुराण से पृथक् सौर को गिना है (स्कंध 1, 3, 15) एवं सूत्रसंहिता ने साम्बपुराण से भिन्न सौरपुराण गिना हैं, भास्कर और भानव ये दो पाठभेद भार्गव और भानव के स्थान में पाए जाते हैं।
3. वेदव्यास की सामवेद-शिष्य-परंपरा में हिरण्य नाम का शिष्य (वायु., 1, 61; ब्रह्मांड 2, 35) ब्रह्मांडपुराण में पाराशर्य पाठभेद है।
इनका उद्देश्य इस ग्रंथ के उस प्राचीन मूल पाठ का निर्धारण करना था, जो उपलब्ध विभिन्न पांडुलिपियों के पाठभेदों का उदारतापूर्वक किंतु सावधानी से प्रयोग करने पर उचित जान पड़े।
इसके साथ ही योगवार्तिककार ने अपने ग्रन्थ में योगभाष्य के अनेक पाठभेद का भी निदर्शन किया है।
अतः प्रमाणिक अर्थ निरूपण के लिये पाठभेद जानना आवश्यक होता है।
उच्चारण की शुद्धता को इतना सुरक्षित रखा गया कि ध्वनि ओर मात्राएँ, ही नहीं, सहस्रों वर्षों पूर्व से आज तक वैदिक मंत्रों में कहीं पाठभेद नहीं हुआ।
""पठन-पाठन में विशेष प्रचलित न होने के कारण वैशेषिक सूत्रों में अनेक पाठभेद हैं तथा 'त्रुटियाँ' भी पर्याप्त हैं।
पाठभेद से अभिप्राय है कि पातजंलि-योगसूत्र में तथा उसपर उपलब्ध व्यासभाष्य व्याख्या में एक ही सूत्र की व्याख्य़ा में किसी के द्वारा किसी शब्द तथा अन्य के द्वारा अन्य शब्द का प्रयोग किया जाना।