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पाकीज़ा Meaning in English



पाकीज़ा शब्द का अंग्रेजी अर्थ : pakiza


पाकीज़ा हिंदी उपयोग और उदाहरण

तब सलीम उसका नाम पाकीज़ा रख देता है और कानूनी तौर पर निका़ह करने के लिये एक मौलवी के पास जाता है।


"" उनकी अंतिम छह फिल्में- जबाव, सात फेरे, मेरे अपने, दुश्मन, पाकीज़ा और गोमती के किनारे में से केवल पाकीज़ा में उनकी मुख्य भूमिका थी।


""(ऐ रसूल) उन से कह दो कि मेरा तरीका तो ये है कि मै (लोगों) को ख़ुदा की तरफ बुलाता हूँ मैं और मेरा पैरव (पीछे चलने वाले) (दोनों) मज़बूत दलील पर हैं और ख़ुदा (हर ऐब व नुक़स से) पाक व पाकीज़ा है और मै मुशरेकीन से नहीं हूँ (108)।


इन्हें इनके बावरे नैन (1950) के गाने 'सुन बैरी बालम सच बोल', महल (1949) के गाने $घबराना के जो हम सर को टकरायन$ और पाकीज़ा (1972) के गाने $नजरिया की मारी के कारण काफी जानी जाती हैं।


फ़िल्म पाकीज़ा में राज कुमार का बोला गया एक संवाद “आपके पांव देखे बहुत हसीन हैं इन्हें ज़मीन पर मत उतारियेगा मैले हो जायेगें” इस क़दर लोकप्रिय हुआ कि लोग राज कुमार की आवाज़ की नक़्ल करने लगे।


मैसूर पाकीज़ा (उर्दु: پاکیزہ، पवित्र) एक सन 1972 की बॉलीवुड फिल्म है।


|पाकीज़ा || शहाबुद्दीन ||।


खय्याम ने बताया कि 'पाकीज़ा' की जबर्दस्त कामयाबी के बाद 'उमराव जान' का संगीत बनाते समय उन्हें बहुत डर लग रहा था.।


ये वह वक़्त था जब अपनी तरफ से इत्मिनान देने के लिए तुम पर नींद को ग़ालिब कर रहा था और तुम पर आसमान से पानी बरस रहा था ताकि उससे तुम्हें पाक (पाकीज़ा कर दे और तुम से ्यैतान की गन्दगी दूर कर दे और तुम्हारे दिल मज़बूत कर दे और पानी से (बालू जम जाए) और तुम्हारे क़दम ब क़दम (अच्छी तरह) जमाए रहे (11)।


तब फ़रिश्तों ने (आजिज़ी से) अजऱ् की तू (हर ऐब से) पाक व पाकीज़ा है हमे तो जो कुछ तूने बताया है उसके सिवा कुछ नहीं जानते तू बड़ा जानने वाला, मसलहक़े का पहचानने वाला है (32)।


लेकिन राज कुमार कभी भी किसी ख़ास इमेज में नहीं बंधे इसलिये अपनी इन फ़िल्मो की कामयाबी के बाद भी उन्होंने 'हमराज़- 1967', 'नीलकमल- 1968', 'मेरे हूजूर- 1968', 'हीर रांझा- 1970' और 'पाकीज़ा- 1971' में रूमानी भूमिका भी स्वीकार की जो उनके फ़िल्मी चरित्र से मेल नहीं खाती थी इसके बावजूद भी राज कुमार यहाँ दर्शकों का दिल जीतने में सफल रहे।


यह फिल्म पाकीज़ा (पवित्र) नरगिस (मीना कुमारी) के बारे में है जो कोठे पर पलती है।


""उन्होंने कहा, 'पाकीज़ा और उमराव जान की पृष्ठभूमि एक जैसी थी. 'पाकीज़ा' कमाल अमरोही साहब ने बनाई थी जिसमें मीना कुमारी, अशोक कुमार, राज कुमार थे. इसका संगीत गुलाम मोहम्मद ने दिया था और यह बड़ी हिट फ़िल्म थी. ऐसे में 'उमराव जान' का संगीत बनाते समय मैं बहुत डरा हुआ था और वो मेरे लिए बहुत बड़ी चुनौती थी.'।





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