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जिल्द, आवरण Meaning in English



जिल्द, आवरण शब्द का अंग्रेजी अर्थ : binding cover


जिल्द,-आवरण हिंदी उपयोग और उदाहरण

स्किवरों का मुख्य उपयोग जिल्दसाजी में होता है।


जिल्द पुस्तकों के आवरण पृष्ठ अमूमन कागज या अपेक्षाकृत थोड़े मोटे कागज के बने होते हैं, साथ ही इन्हें सिलने या तार पिरोकर जोड़ने के बजाय चिपकाया जाता है।


"" चारों खण्ड अलग-अलग प्रसाद का सम्पूर्ण काव्य, प्रसाद के सम्पूर्ण नाटक एवं एकांकी, प्रसाद के सम्पूर्ण उपन्यास तथा प्रसाद की सम्पूर्ण कहानियाँ एवं निबन्ध के नाम से भी सजिल्द एवं पेपरबैक में उपलब्ध।


"" सजिल्द और अजिल्द को मिलाकर इस उपन्यास के एक सौ से ज्यादा संस्करण छप चुके हैं।


जिल्द पुस्तकें, सजिल्द पुस्तकों की तुलना में सस्ती, पर कम टिकाऊ होती हैं।


हिन्दी प्रदीप जनवरी-फरवरी मार्च 1894 ई. (जिल्द 17 संख्या 5, 6 और 7) ने कहा था कि हिन्दी के साढ़े तीन सुलेखक थे- बाबू हरिश्चन्द्र अर्थात् भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, ब्राह्मण मासिक पत्र के सम्पादक प्रतापनारायण मिश्र और राधाचरण गोस्वामी, आधा पीयूष प्रवाह सम्पादक अम्बिकादत्त व्यास।


"" [28] इस प्रतिक्रिया के सबसे आम रूप मौखिक एलर्जी सिंड्रोम है, लेकिन लक्षण घास का बुख़ार भी नकल कर सकते हैं या जिल्द की सूजन या हीव्स शामिल हैं और गंभीर मामलों में, साँस लेने की समस्याओं का कारण हो सकता है।


जिल्द पुस्तको के सबसे अच्छे उदाहरणों में अधिकतर उपन्यास और पुरानी पुस्तकों के पुनर्मुद्रित, नए संस्करण शामिल हैं।


समुद्री गश्ती विमान पर्चा एक अजिल्दबंध पुस्तिका है (यानि बिना पक्की जिल्द या बंधाई के)।


तिलक विद्यापीठ, पुणे से पाँच जिल्दों में प्रकाशित ऋग्वेद के सायण भाष्य के प्रकाशन को भी प्रामाणिक माना जाता है।


कातना, रंगाई, छपाई (सांगानेरी), बत्तिक का काम, सोना और कशीदा करना; दर्जी का काम; खिलौना बनाना; जिल्दसाजी करना; पेपरमेशी का काम; क्ले मॉडलिंग, चमड़े के पर्स ; पोर्टफोलियो आदि चीजें बनाना; तेल, साबुन, पाउडर और वेसलीन बनाना तथा बर्तनों पर कलई करना शामिल है।


उपन्यास, लोकतंत्र और साम्प्रदायिकता (विभूति नारायण राय के उपन्यासों की आलोचना) -2015 (लेखक- विजेन्द्र नारायण सिंह एवं कृष्ण कुमार सिंह, सजिल्द एवं पेपरबैक, साहित्य भंडार, 50, चाहचंद (जीरो रोड), इलाहाबाद से प्रकाशित)।


केंद्रीय संदर्भ पुस्तकालय ने राष्ट्रीय ग्रंथसूची की नौ जिल्दें प्रकाशित की एवं राज्य सरकारों ने तमिल, मलयालम तथा गुजराती की ग्रंथसूचियाँ प्रकाशित कीं।





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