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घनमूल Meaning in English



घनमूल शब्द का अंग्रेजी अर्थ : solid root
, cube root


घनमूल इसके अंग्रेजी अर्थ का उदाहरण

He found a way to tackle the problem of 'duplication of the cube', that is, the problem of how to construct a cube root.


Its ring of endomorphisms is the ring of Hurwitz quaternions, generated by the two automorphisms x\rightarrow x+\omega and y\rightarrow y+x+\omega,x\rightarrow x+1 where \omega^2+\omega+10 is a primitive cube root of unity.


The function mathFunction takes an integer, squares it, and then adds the cube root of that number to the natural log of that number, returning the result (i.


Squares, square roots, cubes and cube roots.


Cube root block, a multi-piece wooden sectional block for illustrating the mathematical cube root.


The Union Rule was a trivial fraction (the divisor being "150") and the Universal Rule non-trivial (the divisor being 5 times the cube root of the draught).


As showed, asymptotically, the maximum overhang that can be achieved by multi-wide stacks is proportional to the cube root of the number of blocks, in contrast to the single-wide case in which the overhang is proportional to the logarithm of the number of blocks.


Both trisecting the general angle and doubling the cube require taking cube roots, which are not constructible numbers by compass and straightedge.



घनमूल हिंदी उपयोग और उदाहरण

२. परिकर्म-अष्टक (संकलन (जोड़), व्यवकलन (घटाना), गुणन (गुणा करना), भाग (भाग करना), वर्ग (वर्ग करना), वर्गमूल (वर्ग मूल निकालना), घन (घन करना), घनमूल (घन मूल निकालना))।


वर्ग, वर्गमूल, घन, घनमूल आदि।


आर्यभटीय में किसी संख्या के वर्ग, घन, वर्गमूल तथा घनमूल निकालने की कलनविधियाँ दी गयीं हैं।


""गुणनखण्ड का उपयोग संख्याओं या व्यंजकों (expressions) के वर्गमूल, घनमूल आदि निकालने, उनके लघुत्तम समापवर्त्य और महत्तम समापवर्तक निकालने आदि में होता है।


इसी प्रकार, आर्यभटीय में घनमूल निकालने की विधि स्पष्टतापूर्वक दी गयी है-।


""(२) भूमिति अर्थात भूमि मापन का शास्त्र : वर्गमूल (बक्षाली पाण्डुलिपि देखें), घनमूल (महावीर देखें), पाइथागोरीय त्रिक (शुल्बसूत्र देखें, बौधायन तथा आपस्तम्ब ने पाइथागोरस प्रमेय का स्पष्ट कथन किया है किन्तु बिना उपपत्ति (proof) के), ट्रांसफॉर्मेशन (पाणिनि देखें), पास्कल त्रिकोण (पिंगल देखें)।


स्वामी भारती तीर्थ जी महाराज (सन् 1884-1960) ने वैदिक गणित के माध्यम से गुणा, भाग, वर्गमूल एवं घनमूल की सरल विधि प्रस्तुत की।


में अपनी खगोलीय पुस्तक की रचना की थी जिसके अध्याय 12 में 66 संस्कृत के पद्य शामिल हैं जिन्हें दो खण्डों में बांटा गया था: 'मौलिक ऑपरेशन' (घनमूल, भिन्न, परिमाण एवं अनुपात और विनिमय सहित) और $व्यावहारिक गणित$ (मिश्रण, गणितीय श्रृंखलाएं, साधारण आंकड़े, ईंटों का ढ़ेर लगाना, लकड़ी काटना और अनाज इकट्ठा करना सहित)।


(२) भूमिति अर्थात भूमि मापन का शास्त्र : वर्गमूल (बक्षाली पाण्डुलिपि देखें), घनमूल (महावीर देखें), पाइथागोरीय त्रिक (शुल्बसूत्र देखें, बौधायन तथा आपस्तम्ब ने पाइथागोरस प्रमेय का स्पष्ट कथन किया है किन्तु बिना उपपत्ति (proof) के), ट्रांसफॉर्मेशन (पाणिनि देखें), पास्कल त्रिकोण (पिंगल देखें)।


इसके आगे के श्लोकों में वर्गक्षेत्र, घन, वर्गमूल, घनमूल, त्रिभुज का क्षेत्रफल, त्रिभुजाकार शंकु का घनफल, वृत्त का क्षेत्रफल, गोले का घनफल, समलंब चतुर्भुज क्षेत्र के कर्णों के संपात से समांतर भुजाओं की दूरी और क्षेत्रफल तथा सब प्रकार के क्षेत्रों की मध्यम लंबाई और चौड़ाई जानकर क्षेत्रफल बताने के साधारण नियम दिए गए हैं।


जो वास्तविक संख्याएं परिमेय नहीं होतीं, उन्हें अपरिमेय संख्या (Irrational number) कहते हैं; जैसे √२, पाई, e (प्राकृतिक लघुगणक का आधार), ८ का घनमूल आदि।


उन्होंने आर्यभटीय नामक महत्वपूर्ण ज्योतिष ग्रन्थ लिखा, जिसमें वर्गमूल, घनमूल, समान्तर श्रेणी तथा विभिन्न प्रकार के समीकरणों का वर्णन है।


गणित - वैदिक साहित्य शून्य के कांसेप्ट, बीजगणित की तकनीकों तथा कलन-पद्धति, वर्गमूल, घनमूल के कांसेप्ट से भरा हुआ है।





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