ग्रंथ साहिब Meaning in English
ग्रंथ साहिब शब्द का अंग्रेजी अर्थ : granth Sahib
ऐसे ही कुछ और शब्द
अनुमति प्रदान करते हुएग्रंतिसम्बन्धी
ग्रेन्यूफेरस
दानेदार बनाने का कार्य
दानेदार गच
दानेदार मिश्री
दानेदार चीनी
कणिका
कणिकाएं
ग्रेन्युल्स
दाना निकलने का रोग
ग्रेन्युलाइट
ग्रेनुलिटिक
कणिकता
ग्रेनुलोसाइट्स
ग्रंथ-साहिब हिंदी उपयोग और उदाहरण
श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी इतिहास।
श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी ।
सिखों का पवित्र धर्मग्रंथ जिसे उनके पाँचवें गुरु अर्जुनदेव ने सन् 1604 ई. में संगृहीत कराया था और जिसे सिख मतानुयायी 'गुरूग्रंथ साहिब जी' भी कहते एवं गुरुवत् मानकर सम्मानित किया करते हैं।
""ग्रंथ साहिब के संपादन को लेकर कुछ असामाजिक तत्वों ने अकबर बादशाह के पास यह शिकायत की कि ग्रंथ में इस्लाम के खिलाफ लिखा गया है, लेकिन बाद में जब अकबर को वाणी की महानता का पता चला, तो उन्होंने भाई गुरदास एवं बाबा बुढ्ढाके माध्यम से 51मोहरें भेंट कर खेद ज्ञापित किया।
प्रत्येक गुरुद्वारे में एक दरबार साहिब है जहां सिखों के वर्तमान और सार्वकालिक गुरु, ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब को एक प्रमुख केंद्रीय स्थिति में एक तखत (एक ऊंचा सिंहासन) पर रखा गया है।
"" गुरु ग्रंथ साहिब (सिखों की पवित्र पुस्तक, जिसे आदि ग्रंथ भी कहते हैं) में कहा गया है कि प्राणी जगत की श्रेष्ठता के लिए बहस करना 'मूर्खता' है, क्योंकि सभी जीवन एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, सिर्फ मानव जीवन अधिक महत्व रखता है।
इस अवदान का पहला प्रमाण ग्रंथ साहिब का संपादन है।
10वे गुरु गोबिन्द सिंह जी ने ये परचार खालसा को सोंपा और ज्ञान गुरु ग्रंथ साहिब की सिख्याओं पर अम्ल करने का उपदेश दिया।
ग्रंथ साहिब के संपादन को लेकर कुछ असामाजिक तत्वों ने अकबर बादशाह के पास यह शिकायत की कि ग्रंथ में इस्लाम के खिलाफ लिखा गया है, लेकिन बाद में जब अकबर को वाणी की महानता का पता चला, तो उन्होंने भाई गुरदास एवं बाबा बुढ्ढाके माध्यम से 51मोहरें भेंट कर खेद ज्ञापित किया।
गुरुग्रंथ साहिब को मत्था टेककर श्रद्धालु इसी परिक्रमा में बैठकर शबद-कीर्तन का आनन्द लेते हैं।
गुरु ग्रंथ साहिब ने कहा कि बालों को स्वाभाविक रूप से बढ़ने दिया जाना चाहिए; यह पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए हजामत बनाने से रोकता है।
हाल ही में 30 अक्टूबर 2008 को गुरु ग्रंथ साहिब के प्रकाश के 300 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में गुरुता गद्दी दिवस मनाया गया।
1742 में प्रकाशित पवित्र गुरू ग्रंथ साहिब की हस्तलिपि आज भी यहां संरक्षित है।