की राह से Meaning in English
की राह से शब्द का अंग्रेजी अर्थ : by the way of
ऐसे ही कुछ और शब्द
हवा के साथ के मार्ग सेइस बात से
इस समय तक
चारों ओर,फेंक कर
ट्रेन के माध्यम से
उपचार से
चलन के अनुसार
परीक्षण और त्रुटि के द्वारा
प्रयोग के द्वारा
का उपयोग करके
मान से
कंठ्य ध्वनि से
मत के आधार पर
चेतावनी से
जलमार्ग से
की-राह-से हिंदी उपयोग और उदाहरण
और तुम लोग जो रास्तों पर (बैठकर) जो ख़़ुदा पर ईमान लाया है उसको डराते हो और ख़़ुदा की राह से रोकते हो और उसकी राह में (ख़्वाहमाख़्वाह) कज़ी ढूँढ निकालते हो अब न बैठा करो और उसको तो याद करो कि जब तुम (्युमार में) कम थे तो ख़ुदा ही ने तुमको बढ़ाया और ज़रा ग़ौर तो करो कि (आखि़र) फसाद फैलाने वालों का अन्जाम क्या हुआ (86)।
39|8|जब मनुष्य को कोई तकलीफ़ पहुँचती है तो वह अपने रब को उसी की ओर रुजू होकर पुकारने लगता है, फिर जब वह उसपर अपनी अनुकम्पा करता है, तो वह उस चीज़ को भूल जाता है जिसके लिए पहले पुकार रहा था और (दूसरो को) अल्लाह के समकक्ष ठहराने लगता है, ताकि इसके परिणामस्वरूप वह उसकी राह से भटका दे।
दूसरे, यह कि जिस तरह ईमान लाने वालों ने उस समय आग के गढ़ों में गिरकर प्राण दे देना स्वीकार कर लिया था और ईमान से फिरना स्वीकार नहीं किया था, उसी तर अब भी ईमान वालों को चाहिए कि प्रत्येक कठिन से कठिन यातना भुगत लें , किन्तु ईमान की राह से न हटें।
ऐ ईमानदारों इसमें उसमें ्यक नहीं कि (यहूद व नसारा के) बहुतेरे आलिम ज़ाहिद लेागों के मालेनाहक़ (नाहक़) चख जाते है और (लोगों को) ख़़ुदा की राह से रोकते हैं और जो लोग सोना और चाँदी जमा करते जाते हैं और उसको ख़़ुदा की राह में खर्च नहीं करते तो (ऐ रसूल) उन को दर्दनाक अज़ाब की ख़ुषखबरी सुना दो (34)।
"" भारतीय शाखा भी काबुल की राह से आयी, यह अत्यन्त ही सन्देहास्पद सिद्धान्त है।
इससे यही निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि ईरानी शाखा यानी पारसी, आर्यों से विलग हो, ईरान की अधित्यका को तय करते हुए काबुल की राह से सप्तसिन्धु तक फैल गये।
(तो तुम क्या जानों) जो लोग उसकी राह से बहके हुए हैं उनको (कुछ) ख़ुदा ही ख़ूब जानता है और वह तो हिदायत याफ्ता लोगों से भी ख़ूब वाक़िफ है (118)।
और (ऐ रसूल) दुनिया में तो बहुतेरे लोग ऐसे हैं कि तुम उनके कहने पर चलो तो तुमको ख़ुदा की राह से बहका दें ये लोग तो सिर्फ अपने ख़्यालात की पैरवी करते हैं और ये लोग तो बस अटकल पच्चू बातें किया करते हैं (117)।
इस सम्बन्ध में स्वयं मुसलमानों को भी एक निश्शब्द सान्त्वना दी गई है कि अपनी बे-साज़ो-समानी (के बावजूद तुम ही प्रभावी रहोगे) इसी के साथ मुसलमानों के समक्ष मिस्र के जादूगरों का आदर्श भी प्रस्तुत किया गया है कि जब सत्य उनपर प्रकट हो गया तो वे बेधड़क उस पर ईमान ले आए और फ़िरऔन के प्रतिशोध का भय उन्हें बाल बराबर भी ईमान की राह से न हटा सका।
इस लेख में मैं केवल भौगोलिक आधार पर यह सिद्ध करने की कोशिश करूँगा कि आर्य लोग भारतवर्ष में काबुल की ओर से न आकर काश्मीर की राह से आये और सिन्धु-नदी के किनारे-किनारे आकर सारे पंजाब में बस गये।
ऐ ईमानदारों ख़ुदा की इताअत करो और रसूल की और जो तुममें से साहेबाने हुकूमत हों उनकी इताअत करो और अगर तुम किसी बात में झगड़ा करो पस अगर तुम ख़ुदा और रोज़े आख़िरत पर इमान रखते हो तो इस अम्र में ख़ुदा और रसूल की तरफ़ रूजू करो यही तुम्हारे हक़ में बेहतर है और अन्जाम की राह से बहुत अच्छा है (59)।
और उन लोगों के ऐसे न हो जाओ जो इतराते हुए और लोगों के दिखलाने के वास्ते अपने घरों से निकल खड़े हुए और लोगों को ख़ुदा की राह से रोकते हैं और जो कुछ भी वह लोग करते हैं ख़़ुदा उस पर (हर तरह से) अहाता किए हुए है (47)।
""39|8|जब मनुष्य को कोई तकलीफ़ पहुँचती है तो वह अपने रब को उसी की ओर रुजू होकर पुकारने लगता है, फिर जब वह उसपर अपनी अनुकम्पा करता है, तो वह उस चीज़ को भूल जाता है जिसके लिए पहले पुकार रहा था और (दूसरो को) अल्लाह के समकक्ष ठहराने लगता है, ताकि इसके परिणामस्वरूप वह उसकी राह से भटका दे।