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कलियुग Meaning in English



कलियुग शब्द का अंग्रेजी अर्थ : iron age
, the fourth and last or present age


कलियुग हिंदी उपयोग और उदाहरण

सिद्धान्त, तन्त्र और करण के लक्षणों में यह है कि ग्रहगणित का विचार जिसमें कल्पादि या सृष्टयादि से हो वह सिद्धान्त, जिसमें महायुगादि से हो वह तन्त्र और जिसमें किसी इष्टशक से (जैसे कलियुग के आरम्भ से) हो वह करण कहलाता है ।


"" श्री कृष्ण बर्बरीक के महान बलिदान से काफ़ी प्रसन्न हुए और वरदान दिया कि जैसे-जैसे कलियुग का अवतरण होगा, तुम श्याम के नाम से पूजे जाओगे।


इस प्रकार वर्तमान मे 28 वें चतुर्युगी के कलियुग की 5115 वें वर्ष तक की कुल आयु 27वे चतुर्युगी की कुल आयु + 3893115 116640000+3893115 120533115 वर्ष।


मेरे गले में मृत सर्प डालने के इस कृत्य को राजा ने जान बूझ कर नहीं किया है, उस समय वह कलियुग के प्रभाव में था।


"" पतन जिस प्रकार धीरे धीरे हुआ उसी प्रकार उत्थान होगा अधोगामी कलियुग के बीतने पर उर्ध्वगामी कलियुग की शुरुआत होगी फिर द्वापर फिर त्रेता फिर सत्ययुग आएगा |इंसान केवल अपनी बुद्धि लगा कर वेद धर्मशास्त्र का अर्थ निकाल सकता है उसके बिल्कुल सत्य भाव को व्यक्त नहीं कर सकता है अतः मानव बुद्धि से गलती की बहुत संभावना होती है।


धर्मरूपी बैल की सत्य, तप और दयारूपी तीन पैर कलियुग ने मारकर तोड़ डाले थे, केवल एक पैर दान के सहारे वह भाग रहा था, उसको भी तोड़ डालने के लिये कलियुग बराबर उसका पीछा कर रहा था।


'महानिर्वाण' तंत्र के अनुसार कलियुग में प्राणी मेध्य (पवित्र) तथा अमेध्य (अपवित्र) के विचारों से बहुधा हीन होते हैं और इन्हीं के कल्याणार्थ महादेव ने आगमों का उपदेश पार्वती को स्वयं दिया।


’ इन नाटक मंडलियों के प्रयत्न से उस समय ‘महाराणा प्रताप’, ‘सत्य हरिश्चन्द्र’, ‘महाभारत’, ‘सुभद्राहरण’, ‘भीष्मपितामह’, ‘बिल्व मंगल’, ‘संसार स्वप्न’, ‘कलियुग’ आदि अनेक नाटकों का अभिनय हुआ।


कलियुग के अन्त के लक्षण माने गए हैं वर्णसंकरता, स्थापित मूल्यों का तिरस्कार, धार्मिक प्रथाओं की समाप्ति, क्रूर् एवं बाहरी राजाओं का राज।


श्री कृष्ण बर्बरीक के महान बलिदान से काफ़ी प्रसन्न हुए और वरदान दिया कि जैसे-जैसे कलियुग का अवतरण होगा, तुम श्याम के नाम से पूजे जाओगे।


कलियुग के धर्म-कर्महीन तथा आचारहीन मनुष्यों के कल्याण के लिए ही श्री व्यासजी ने पुराण-अमृत की सृष्टि की थी।


कोशकार हिन्दू धर्म के अनुसार, प्रदोष व्रत कलियुग में अति मंगलकारी और शिव कृपा प्रदान करनेवाला होता है।


4800 वर्ष(सत्ययुग) के अंत तक आध्यात्मिक ज्ञान को समझने की शक्ति को खो दिया 3600 वर्ष(त्रेतायुग) चुम्बकीय ज्ञान को समझने की शक्ति का ह्रास 2400 वर्ष (द्वापर) विद्युत शक्तियों को समझने की शक्तियों का ह्रास अगले 1200 वर्ष (कलियुग) पूर्ण होने पर ईसवी सन 499 में सूर्य अपने महकेन्द्र से दूरस्थ बिंदु पर आ गया था।





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