अपौरुष Meaning in English
अपौरुष शब्द का अंग्रेजी अर्थ : unmanliness
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अपौरुष हिंदी उपयोग और उदाहरण
वेदों को सुनने से फैलने और पीढ़ी-दर-पीढ़ी याद रखने के कारण व सृष्टिकर्ता ब्रहमाजी द्वारा भी अपौरुषेय वाणी के रुप में प्राप्त करने के कारण श्रुति, स्वतः प्रमाण के कारण आम्नाय, पुरुष (जीव) भिन्न ईश्वरकृत होने से अपौरुषेय इत्यादि नाम भी दिये जाते हैं।
वेदों को अपौरुषेय (जिसे कोई व्यक्ति न कर सकता हो, यानि ईश्वर कृत) माना जाता है।
बहुत प्राचीन (भारतीय विचारपद्धति के अनुसार अपौरुषेय) होने के कारण वेदवाक्यों के अर्थ, प्रयोग और परस्पर संबंध समन्वय का ज्ञान लुप्त हो जाने से उनके संबंध में अनुसंधान करने की आवश्यकता पड़ी।
वेद को अपौरुषेय जैमिनि मानते हैं।
वेदों को 'अपौरुषय' यानि 'जीवपुरुषकृत नहीं' भी कहा जाता है, जिसका तात्पर्य है कि उनकी कृति दिव्य है, अतः श्रुति मानवसम्बद्ध दोष मुक्त है।
पूर्वसीमांसा दर्शन में वेदों के-जिनको वह अपौरुषेय, अनादि और नित्य मानता है- सभी वाक्यों का समन्वय करने का प्रयत्न किया गया है और समस्त वेदवाक्यों का मुख्य प्रयोजन मनुष्य को यज्ञादि धार्मिक क्रियाओं में प्रवृत्त कराने का साधन मात्र माना है; किसी विशेष, वास्तविक वस्तु का वर्णन नहीं माना।
""वेदों को अपौरुषेय (जिसे कोई व्यक्ति न कर सकता हो, यानि ईश्वर कृत) माना जाता है।
अतएव वेद भी अपौरुषेय हैं।
यहां जिस कैम्प की धर्मशाला में स्वामी ठहरे, वहां उन्होंने आठ व्याख्यान दिये जिनके विषय थे ईश्वर, धर्मोदय, वेदों का अनादि और अपौरुषेय होना, पुनर्जन्म, विद्या-अविद्या, मुक्ति और बन्धन, आर्यों का इतिहास और कर्तव्य।
पारम्परिक तौर पर यह विश्वास है कि वेद अपौरुषेय (किसी मानव/देवता ने नहीं लिखे) तथा अनादि हैं, बल्कि अनादि सत्य का प्राकट्य हैं जिनकी वैधता शाश्वत है।
यथार्थ के प्रति आग्रह का एक अन्य परिणाम यह हुआ कि कथा साहित्य के अपौरुषेय तथा अलौकिक तत्व, जो प्राचीन महाकाव्यों के विशिष्ट अंग थे, पूर्णतया लुप्त हो गए।
यही कारण है कि आदि ग्रन्थ वेद को अपौरुषेय कहा जाता है, वर्ण व्यवस्था की उत्पत्ति ब्रह्मा से जोड़ी जाती है तथा भारतीय लिपि ब्राह्मी को ब्रह्मा द्वारा निर्मित बताई जाती है।
भारतीय दृष्टि से वेद को अपौरुषेय माना गया है।